Vijaya Ekadashi 2024: इस दिन है विजया एकादशी, जानिए शुभ-मुहूर्त एवं पूजा-विधि

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Vijaya Ekadashi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि सभी तिथियों में अहम मानी जाती है. हर महीने में दो एकादशी पड़ती है, एक कृष्‍ण पक्ष की एकादशी और दूसरा शुक्‍ल पक्ष की. एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की उपासना और व्रत करने का विधान है. वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी पड़ती है.

मान्‍यता है कि विजय प्राप्ति के लिए इस एकादशी पर श्रीहरि की पूजा करना विशेष फलदायी होता है. विजया एकादशी व्रत के विषय में पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में वर्णन मिलता है. कहा जाता है कि जब कोई मनुष्‍य शत्रुओं से घिरा हो तब विकट से विकट से परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से जीत सुनिश्चित की जा सकती है. यह एकादशी पापों का नाश करता है. तो आइए जानते हैं विजया एकादशी कब मनाई जाएगी. साथ ही जानेंगे शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व…

इस दिन मनाई जाएगी एकादशी

वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी 6 मार्च 2024 दिन बुधवार को सुबह 06.30 से शुरू होकर अगले दिन 7 मार्च 2024, दिन गुरुवार को सुबह 04.13 तक रहेगी.

6 मार्च 2024- एकादशी व्रत उदयातिथि के अनुसार किया जाता है, लेकिन जब एकादशी तिथि दो दिन पड़े तो ऐसे में गृहस्थ (स्मार्त संप्रदाय) जीवन वालों को पहले दिन एकादशी व्रत रखना चाहिए. विजया एकादशी व्रत 6 मार्च 2024 को रखना अच्‍छा रहेगा.

7 मार्च 2024 – इस दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग विजया एकादशी का व्रत रखेंगे. दूजी एकादशी यानी वैष्णव एकादशी के दिन संतों और सन्यासियों को एकादशी का व्रत श्रेष्‍ठ माना गया है.

  • पूजा समय – सुबह 41 – सुबह 09.37
  • विजया एकादशी का व्रत पारण (7 मार्च 2024- गृहस्थ)- दोपहर 43 – शाम 04.04
  • विजया एकादशी व्रत पारण (8 मार्च 2024 – वैष्णव)- सुबह 38 – सुबह 09.00

विजया एकादशी पूजा विधि

  • इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.
  • श्रीहरि को पीला रंग बेहद प्रिय है, तो इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनें.
  • लकड़ी की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की मूर्ति स्थापित करें.
  • बाल गोपाल की पूजा करें और श्रीहरि की अभिषेक करें.
  • अब सूर्यदेव को जल समर्पित करें.
  • पंचोपचार कर भगवान श्रीहरि की पूजा-अर्चना करें.
  • उन्हें पीले रंग के फल, फूल और मिठाई जरूर चढ़ाएं.
  • गोपी चंदन का तिलक लगाएं.
  • दीपक जलाकर आरती करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें.
  • पूजा के दौरान कृं कृष्णाय नम: और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें.
  • भोग में तुलसी पत्‍ता अवश्य शामिल करें.

ये भी पढ़ें :- सज गया बाबा महाकाल का दरबार, आज से महाशिवरात्रि तक भक्तों को अलग-अलग रुप में देंगे दर्शन

 

 

More Articles Like This

Exit mobile version