Vikat Sanakashti Chaturthi Vrat 2024: सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है. इस दिन प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन विघ्नहर्ता श्रीगणेश की विधिवत पूजा करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं. विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से मनुष्य को आर्थिक तंगी से निजात मिलती है. तो आइए जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी का सही डेट, पूजा मुहूर्त, मंत्र और महत्व.
विकट संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त-चंद्रोदय का समय
इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी 27 अप्रैल को मनाई जाएगी. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 अप्रैल को सुबह 8:20 बजे से शुरू होगी. इसका समापन 28 अप्रैल को सुबह 8:20 बजे पर है. चंद्रोदय का समय 27 अप्रैल को रात 10 बजकर 30 मिनट पर है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
परिघ योग और ज्येष्ठा नक्षत्र में विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत है ऐसे में व्रत का महत्व बढ़ जाता है. परिघ योग 27 अप्रैल के प्रात:काल से लेकर 28 अप्रैल को तड़के 03:24 बजे तक होगा. वहीं ज्येष्ठा नक्षत्र भी प्रात:काल से शुरू होकर 28 अप्रैल को प्रात: 04:28 बजे तक खत्म होगा.
महत्व
इस चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश की उपासना बहुत ही शुभ होता है. इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी पर श्री गणेश चतुर्थी व्रत करता है, उसके जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान निकलता है और उसके सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
भगवान गणेश का ये मंत्र
- श्री गणेशाय नम:
- ॐ गं गणपतये नम:
- ॐ वक्रतुंडा हुं
- वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा
- ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा
- ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्
ये भी पढ़ें :- Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर क्यों खरीदा जाता है सोना? जानिए इस दिन कब है शॉपिंग का शुभ मुहूर्त