Dhanteras 2024: धरतेरस के दिन कब करें भगवान धन्वंतरि की अराधना, जानिए पूजा मुहूर्त और विधि

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Dhanteras Par Puja Vidhi: सनातन धर्म में धनतेरस के पर्व का विशेष महत्व है. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनत्रयोदशी का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन आरोग्‍य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. इस विशेष दिन पर चिकित्सक और मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोग धन्वंतरि देव की पूजा करते हैं. इसी के साथ इस खास दिन पर कुबेर देव और मां लक्ष्‍मी की भी पूजा की जाती है.

ऐसी मान्यता है कि यह दिन धन के देवता कुबेर और धन की देवी लक्ष्‍मी जी को प्रसन्‍न करने का दिन होता है. ऐसे में आइए आपको आज बताते हैं कि इस साल यह पर्व किस दिन मनाया जाएगा. साथ ही इस विशेष दिन पर पूजा करने की शुभ घड़ी क्या है और पूजा की विधि क्या है…

कब मनाया जाएगा धनतेरस का त्योहार?

हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनत्रयोदशी का पर्व मनाया जाता है. इस साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 मिनट पर शुरू होगी और 30 अक्टूबर को दोपहर 1:15 मिनट पर समाप्‍त होगा. चूकी मान्यता है कि धनतेरस का पर्व उसी दिन माना जाता है, जिस दिन त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल मिलता है. चूकी इस साल धन त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल 29 अक्‍टूबर को शाम 5:38 मिनट से लेकर रात 8:13 मिनट तक रहेगा. इस वजह से धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार को मनाया जाएगा.

धनतेरस पर खरीदारी का मुहूर्त

इस साल धनतेरस पर खरीदारी करने के दो मुहूर्त बन रहे हैं. शास्त्रों के जानकारों के अनुसार धनतेरस पर खरीदारी का पहला मुहूर्त – सुबह 6:31 मिनट से अगले दिन सुबह 10:31 मिनट तक है. इसी के साथ धनतेरस पर खरीदारी का दूसरा मुहूर्त – सुबह 11:42 मिनट से लेकर दोपहर 12:27 मिनट तक है. इस मुहूर्त में आप धनतेरस के दिन खरीदारी कर सकते हैं.

धनतेरस पर कैसे करें पूजा?

धनतेरस के दिन आरोग्‍य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. इस दिन आपको सबसे पहले पूजास्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें. इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या तस्‍वीर स्‍थापित करें. अब एक घी का दीपक जलाएं फिर अक्षत, रोली और लाल फूल चढ़ाएं. धूप जलाएं. भोग लगाएं. इतना करने के बाद आपको लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा और कुबेर स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.

(अस्वीकरण: लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. द प्रिंटलाइंस इसकी पुष्टी नहीं करता है.)

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