Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मैया के दिव्य कन्हैया, भक्त के बस में है भगवान। मैया दही बिलो रही थी, कन्हैया सो रहे थे, मैया सोचती है कि कन्हैया थोड़ी देर और सोता रहे, जल्दी से दही बिलो कर मक्खन निकाल लूँ। अब यहां तीन बातें होती हैं- मन, वाणी और शरीर, जब तक तीनों एक जगह नहीं लगेंगे तब तक कार्य में सफलता नहीं मिलती। मैया दही बिलो रही हैं, कृष्ण भगवान के बाल चरित्रों को गा रही हैं। मन में स्मरण, हाथ में उनके लिए माखन और मुख में कीर्तन, तीनों कृष्ण से जुड़े हैं।
यह इस बात का संकेत है कि जब आपके मन, बचन, कर्म तीनों ईश्वर से जुड़े तो ईश्वर को पास आने में देर नहीं लगेगी। कन्हैया सो रहे थे उठ गये और नीचे आकर मंथानी की लकड़ी पकड़ ली, रूठ गये और ऊँ-ऊँ करके रोने लगे। मैया ने कहा – कन्हैया थोड़ी देर ठहर जा, मक्खन निकलने वाला है, थोड़ा – सा तो निकल गया, बस थोड़ा-सा बाकी है, निकाल दूँ, फिर तुम्हें दूध पिलाऊंगी। कन्हैया तू बड़ा अच्छा लाला है। सिर पर हाथ फेरा, गालों पर हाथ फेरे लेकिन कन्हैया तो मचल गये। मैया दूध पिला दे, रोने लगे। मां का हृदय पिघल गया, चलो यदि थोड़ा सा – मक्खन नहीं भी निकला तो कोई बात नहीं, मेरा कन्हैया भूखा न रहे।
वहीं बैठकर लाला को दूध पिलाने लगीं, सिर पर हाथ फेरती हैं। दूध पिलाते हुए जब स्नेह उमड़ता है तो मुख से मुख चूम लेती है। भगवान दूध पीते-पीते मुंह हटाकर मां को देखकर हंसने लगते हैं, दूध की धारा मुख पर गिर जाती है। मां आंचल से पोंछ देती है। घुंघराले बाल, कानों में सुंदर कुंडल, दिव्य सौंदर्य है।भक्ति की गोद में भगवान् हैं। यशोदा का मतलब है (यशो+दात्री), यश देने वाली भक्ति और गोंद में हैं आनंद सिंधु। इतने में दूध पीते-पीते कन्हैया से जरा-सी आंख हटी और आग पर उबलने के लिए दूध रखा हुआ था। फिर दामोदर लीला हुई।
परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मैया के दिव्य कन्हैया, भक्त के बस में है भगवान। मैया दही बिलो रही थी, कन्हैया सो रहे थे, मैया सोचती है कि कन्हैया थोड़ी देर और सोता रहे, जल्दी से दही बिलो कर मक्खन निकाल लूँ। pic.twitter.com/2hjPOh4UNl
— The Printlines (@TPrintlines) August 26, 2024