Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आप ध्यान करते समय अकेले रहते हो या ध्यान करते समय भी घर का चिंतन होता रहता है। अगर ध्यान, भजन, नाम जपते समय भी घर का चिंतन हो रहा है तो आप अकेले कहां हुए? थोड़ी देर अकेले बैठो। अपने हृदय को संसार से बिल्कुल खाली कर लो, शून्य बना दो, संसार का कोई आने न पाये, खबरदार! हमारा कन्हैया आने वाला है , तैयारी किये बैठा है वह, देख ही रहा है वो कि जब भक्त अकेला होगा तभी वह आ टपकेगा। इसीलिए अपने को शून्य बनाने की कोशिश करो।
स्थानत्रयात्परं प्राप्तं ब्रह्मभूतमविक्रियम्।तीन अवस्थाओं से ऊपर, जाग्रत स्वप्न और सुसुप्ति से ऊपर उठ जाओ। तमोगुण, रजोगुण और सत्गुण, इन सबसे भी ऊपर उठ जाओ। शुद्ध सत्व में स्थित हो जाओ, जहां प्रकृति का, माया का कोई संस्कार न हो। पत्नी-पुत्र, परिवार-मकान-दुकान का संकल्प जहां न उठे, उसे ध्यान कहते हैं। जब वह स्थिति आती है उस समय भगवान भक्तों को कैसे मुस्कुराते हुए मिलते हैं? किस प्रकार वह अखण्ड सच्चिदानंद व्यापक चेतना में लीन होता है, उसकी अनुभूति उसे किस प्रकार होती है, यह तो वही जान सकता है, दूसरा क्या जाने? जिसने मिठाई खाई नहीं उसके सामने मिठाई की चर्चा करते रहो, सुनने वाले का मुख मीठा थोड़े ही होगा?
सुनने वाले का मुख तब मीठा होगा जब वह मिठाई खायेगा, इसी तरह हम और आप कान से सुनते रहें, मुख से कहते रहें, स्वाद नही मिलेगा। जब तक हम उस स्थिति को प्राप्त न हो जायें, तब तक उसका रसास्वादन कैसे होगा और एक बार रसास्वादन हो जायेगा तो संसार के सारे रस फीके हो जायेंगे। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).