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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण में एक कथा आती है. भगवती मां गंगा ने स्वर्ग से धरती पर अवतरण करते समय भगीरथ से दो प्रश्न किए थे. ‘भगीरथ, जब मेरा वेग अत्यन्त तीव्र होगा, तब मुझे कौन धारण करेगा? भगीरथ ने उत्तर दिया- ‘माँ, भगवान महादेव तुम्हें धारण करेंगे.’ भगवती गंगा ने एक और प्रश्न किया- ‘ भगीरथ, मैं भूमण्डल पर आऊंगी.
दूर-दूर से लोग आकर मुझमें स्नान करेंगे और उनके पातक मुझे धोने पड़ेंगे. उनके पातक तो नष्ट हो जाएंगे किंतु वह पातक मुझमें संग्रहित हो जायेंगे. ऐसे में उन पापों का नाश कौन करेगा? भगीरथ ने उत्तर दिया- ‘माँ, जिस प्रकार साधारण श्रद्धालु आकर तुम्हारे प्रवाह में स्नान करेंगे. उसी प्रकार अत्यंत श्रेष्ठ संत महात्मा भी आकर तुम्हारे प्रवाह में स्नान करेंगे और जिस क्षण संतों का पवन स्पर्श तुम्हें तुम्हारे प्रवाह को होगा,
उसी क्षण तुम्हारे भीतर संग्रहित हुए पातक दग्ध होकर नष्ट हो जाएंगे.’ संसार के पाप धोने का काम गंगा माता करती हैं किन्तु गंगा माता में संग्रहीत हुए पातकों को नष्ट करने का कार्य संतों के कारण घटित होता है. इसी कारण संतों के जीवन में तीन बातें सरकार होते दिखाई देती हैं. गंगा पापं शशी तापं दैन्यं कल्पतरूस्तथा. पापं तापं तथा दैन्यं च ध्यन्ति सन्तो महाशयः।। गंगा माता केवल पापों को नष्ट करती हैं,
चंद्रमा केवल ताप का नाश करते हैं और कल्पवृक्ष दरिद्रता का नाश करता है. किंतु संत हमारे जीवन के पाप-ताप और दैन्य (दरिद्रता) तीनों का ही नाश करते हैं. सभी मनुष्यों के शरीर समान नहीं होते. प्रत्येक के देह की अवस्था भिन्न-भिन्न है. भगवन्नाम का सतत संकीर्तन करने वाला सत्पुरुष और व्यसनाधीन मनुष्य, एक दोनों के देह की स्थिति सामान कैसे हो सकती है? संत ज्ञानेश्वर महाराज, ज्ञानेश्वरी के छठे अध्याय में वर्णन करते हैं-
योगाभ्यास करते-करते साधक का शरीर स्वर्णिम कांतियुक्त हो जाता है, साथ ही शरीर वायु के समान हल्का भी हो जाता है. संत शिरोमणि तुकाराम महाराज कहते हैं- संकीर्तन करते-करते ही शरीर ब्रह्म रूप हो जाता है. जो ऐसी अवस्था को प्राप्त हो जाते हैं, उनके संग से मन के साथ-साथ शरीर भी बदल जाता है. इस प्रकार जीव पर सत्संग का उत्तम परिणाम होता है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).