ईश्वर की भक्ति के बिना न तो शांति है और न कल्याण: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान की भक्ति- मानव जीवन का श्रेय भगवान की भक्ति है। धर्म शास्त्रों में एक श्रेय का मार्ग बताया गया, दूसरा प्रेह का मार्ग बताया गया। श्रेय कहते हैं, जिसमें हमारा कल्याण है और प्रेह कहते हैं जो हमारे मन को अच्छा लगता है, उसमें कल्याण आवश्यक नहीं है। धर्मशास्त्र मानव जीवन का श्रेय भगवान की भक्ति बताते हैं और कहते हैं कि- ईश्वर की भक्ति के बिना न तो शांति है और न कल्याण है।
कोई तन दुःखी कोई मन दुःखी कोई धन बिनु रहत उदास। थोड़े-थोड़े सब दुःखी सुखी राम को दास।। राजा कहें महाराज सुखी, महाराज कहें सुख इन्द्र को भारी। इन्द्र कहें  ब्रह्मा जी सुखी,  ब्रह्मा जी कहें सुख विष्णु को भारी। तुलसीदास विचारि कहें, हरि भजन बिना सब जीव दुःखारी।। श्रुति पुराण सद ग्रंथ कहाहीं । रघुपति भगति विना सुख नाहीं।।
हरि भजन बिना विश्राम नहीं। गोविन्द बिना सुख शांति नहीं।। सब कर मत खगनायक एहा। करिए राम पद पंकज नेहा ।। सभी सद् ग्रंथों को पढ़ने सुनने से यही निष्कर्ष निकलता है कि- मानव शरीर भगवान की भक्ति और परमार्थ के लिए मिला है। मनुष्य शरीर पाकर हमें ईश्वर की भक्ति और परमार्थ के कार्यों को करना चाहिए। सबसे बड़े भगवान हैं, भगवान से भी बड़ा भगवान का नाम है और भगवान के नाम से भी बड़ा भगवान का काम है। तब मन में प्रश्न आयेगा कि- भगवान का काम क्या है? और इसका उत्तर श्री हनुमत नाटक में दिया गया कि- भगवान का कार्य परमार्थ है।
परमार्थ के सभी कार्य भगवान के ही कार्य हैं। जितना सम्भव हो पावै उतना भगवान का स्मरण करना चाहिए और जितना सम्भव हो पावै उतना परमार्थ के कार्य भी करना चाहिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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