RBI की MPC में 3 नए सदस्य शामिल, क्या रेपो रेट में होगी कटौती?

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

RBI MPC: भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्‍याज दरों पर फैसला लेने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) में बड़ा फेरबदल किया है. मंगलवार को आरबीआई ने जानकारी दी कि एमपीसी में 3 नए बाहरी सदस्‍य शामिल किए गए है. वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार को आरबीआई की एमपीसी का नया बाहरी सदस्य नियुक्त किया गया है.

एमपीसी का पुनर्गठन

केंद्र सरकार ने रेपो रेट तय करने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति का पुनर्गठन किया है. सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत एमपीसी पुनर्गठन को अधिसूचित किया है. पुनर्गठित समिति में दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक प्रो. राम सिंह, अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य और नयी दिल्ली स्थित औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक और मुख्य कार्यपालक डॉ. नागेश कुमार को शामिल किया गया है.

नीतिगत दर तय करने वाली एमपीसी के प्रमुख भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास हैं. पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक 7 से 9 अक्टूबर तक होगी. बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकान्त दास 9 अक्टूबर को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा का ऐलान करेंगे. एक्‍सपर्ट की मानें तो ब्याज दरों में बदलाव होगा या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है.

चार साल की अवधि के लिए पद पर बने रहेंगे

इनसे पहले आरबीआई एमपीसी में बाहरी सदस्य के रूप में डॉ. आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और शंशाक भिड़े शामिल रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त मौद्रिक नीति समिति के बाहरी सदस्य तत्काल प्रभाव से या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, चार वर्ष की अवधि के लिए पद पर बने रहेंगे. एमपीसी का गठन 2016 में मौद्रिक नीति रूपरेखा समझौते को अंतिम रूप देने के बाद हुआ था. इसमें मुद्रास्फीति के लक्ष्य का तय किया गया था. इसके तहत केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति दो फीसदी घट-बढ़ के साथ 4 फीसदी रखने की जिम्मेदारी दी गई.

एमपीसी में 6 सदस्य होना जरूरी

आरबीआई अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक, एमपीसी में छह सदस्य अनिवार्य हैं. तीन सदस्य आरबीआई से और तीन केंद्र सरकार द्वारा चुने जाते हैं. एमपीसी की छह सदस्यीय समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करते हैं. इसके आधिकारिक सदस्यों में आरबीआई में मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर और मौद्रिक नीति विभाग के कार्यकारी निदेशक इसके मेंबर होते हैं.

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