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वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) ने दिसंबर 2024 तक भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में करीब 74,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है , जो सभी क्षेत्रों में सबसे अधिक है। यह जानकारी संपत्ति सलाहकार एनारॉक ने दी है. वैकल्पिक निवेश कोष का तात्पर्य भारत में स्थापित या निगमित किसी भी फंड से है ,जो एक निजी रूप से एकत्रित निवेश माध्यम है जो अपने निवेशकों के लाभ के लिए एक परिभाषित निवेश नीति के अनुसार निवेश करने हेतु परिष्कृत निवेशकों, चाहे वे भारतीय हों या विदेशी, से धन एकत्र करता है.
रियल एस्टेट सलाहकार एनारॉक ने वैकल्पिक निवेश कोष से संबंधित सेबी के आंकड़ों को संकलित किया है, जो निजी इक्विटी, हेज फंड और रियल एस्टेट जैसी गैर-पारंपरिक परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं – और अनुभवी निवेशकों के लिए उपयुक्त उच्च जोखिम, उच्च लाभ के अवसर प्रदान करते हैं. दिसंबर 2024 तक एआईएफ ने सभी क्षेत्रों में संचयी रूप से ₹ 5,06,196 करोड़ का निवेश किया है. रियल एस्टेट क्षेत्र में संचयी शुद्ध एआईएफ निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा ₹ 73,903 करोड़ है, जो 15% है. एनारॉक ने कहा, “एआईएफ के उदय ने भारत में रियल एस्टेट वित्तपोषण को महत्वपूर्ण रूप से बदल दिया है, जिससे वित्तपोषण की कमी से जूझ रही परियोजनाओं को महत्वपूर्ण जीवनरेखा मिली है और डेवलपर्स के लिए नए अवसर खुले हैं.”
एआईएफ ने आईटी/आईटीईएस में ₹ 30,279 करोड़, वित्तीय सेवाओं में ₹ 26,807 करोड़, एनबीएफसी में ₹ 21,929 करोड़, बैंकों में ₹ 21,273 करोड़, फार्मा में ₹ 18,309 करोड़, एफएमसीजी में ₹ 12,743 करोड़, रिटेल में ₹ 11,550 करोड़ और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में ₹ 11,433 करोड़ का निवेश किया है. अन्य क्षेत्रों को एआईएफ से ₹ 2,77,970 करोड़ मिले. एनारॉक ग्रुप के क्षेत्रीय निदेशक एवं अनुसंधान प्रमुख प्रशांत ठाकुर ने कहा, “परंपरागत वित्तपोषण स्रोतों पर बढ़ती बाधाओं के बीच, एआईएफ रियल एस्टेट विकास के विभिन्न चरणों में पूंजीगत अंतराल को दूर करने के लिए एक चुस्त और नवीन वित्तपोषण तंत्र है.”
उन्होंने कहा, “चूंकि वे घरेलू और विदेशी निवेशकों से पूंजी जुटाते हैं, इसलिए एआईएफ एक टिकाऊ और स्केलेबल फंडिंग इकोसिस्टम है. आगे बढ़ते हुए, मिश्रित वित्त मॉडल, एआई-संचालित जोखिम आकलन और सुव्यवस्थित नियामक ढांचे को अपनाने से एआईएफ का प्रभाव और अधिक बढ़ जाएगा.” पिछले दशक में बाजार में सक्रिय एआईएफ की संख्या 36 गुना बढ़ गई है – 31 मार्च 2013 तक 42 से बढ़कर 5 मार्च 2025 तक 1,524 एआईएफ तक, तथा 2019 से प्रतिबद्धता में पांच गुना वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए, मुंबई स्थित माउंट के कैपिटल की संस्थापक और प्रबंध निदेशक बिनीता दलाल ने कहा, “एआईएफ आवंटन में रियल एस्टेट का निरंतर प्रभुत्व इस बात का स्वाभाविक परिणाम है कि निवेशक अपने पोर्टफोलियो पर पुनर्विचार कर रहे हैं. रियल एसेट्स को अब वित्तीय पोर्टफोलियो के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, न कि केवल भौतिक होल्डिंग्स के रूप में.”उन्होंने कहा, “यह बदलाव न केवल मानसिकता में बदलाव को दर्शाता है, बल्कि विभिन्न जोखिम-रिटर्न प्रोफाइल के अनुरूप नए फंड और संरचनाओं की बढ़ती उपलब्धता को भी दर्शाता है.
यह बाजार की गहराई और विकास का एक स्पष्ट संकेतक है- आज रियल एस्टेट एक भौतिक परिसंपत्ति के साथ-साथ एक वित्तीय उत्पाद भी है.” गोल्डन ग्रोथ फंड के सीईओ अंकुर जालान ने कहा कि एआईएफ संस्थागत निवेशकों और एचएनआई के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश साधन बन गए हैं और इससे डेवलपर्स के लिए वित्त पोषण प्राप्त करने का दायरा भी बढ़ गया है.