भारतीय सेना को 155 एम एम कैलिबर वाली 307 एडवांस तोड आर्टिलरी गन सिस्टम मिलने जा रहा है. सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने करीब लगभग 7000 करोड़ रुपये की लागत से एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद को मंजूरी दी है. यह कदम भारत की तोपखाना निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा. एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम तोप भारत में पूरी तरह स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित पहली 155 मिमी की आधुनिक तोप है. यह अत्याधुनिक तकनीक और उन्नत मारक क्षमता से लैस है.
इन तोपों के शामिल हो जाने से भारतीय सेना की मारक एवं अभियान क्षमता काफी मजबूत हो जाएगी. उन्नत एवं आधुनिक तकनीक से लैस इन तोपों का प्रहार जबर्दस्त है. खास बात यह है कि इन तोपों को किसी वाहन से खींचकर कहीं भी दुर्गम इलाकों में ले जाया जा सकता है. इनमें 52 कैलिबर का बैरल लगा है. यही नहीं जरूरत पड़ने पर इसकी रेंज 40 किलोमीटर तक बढ़ाई जा सकती है.
बढ़ी हुई मारक क्षमता के साथ यह तोप और भी ज्यादा विध्वंसकारी और घातक बन जाता है. इन 307 तोपों के शामिल होने से ऑर्टिलरी तेजी के साथ आधुनिक होने की दिशा में आगे बढ़ेगी. ये तोप पहले से मौजूद 105 एमएम और 130 एमएम के तोपों की जगह लेंगे. सेना इन तोपों को देश के उत्तरी एवं पश्चिमी सीमा पर तैनात करेगी. इनकी तैनाती से सीमा के दोनों मोर्चों पर सेना को सामरिक एवं आक्रामक बढ़त मिलेगी.
स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा
ATAGS भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक शानदार उदाहरण है. इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और भारतीय निजी उद्योग भागीदारों के सहयोग से विकसित किया गया है. इसे टाटा एडवांस सिस्टम और भारत फोर्ज मिलकर बनायेंगे. इसमें 65 प्रतिशत से अधिक कॉम्पोनेन्ट स्वदेशी रूप से निर्मित हैं. जिनमें बैरल, मज़ल ब्रेक, ब्रीच मैकेनिज्म, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम, तथा गोला-बारूद प्रबंधन प्रणाली जैसी महत्वपूर्ण उप-प्रणालियां शामिल हैं. यह विकास न केवल भारत के रक्षा उद्योग को सशक्त करेगा बल्कि विदेशी आयात पर निर्भरता को भी कम करेगा.
दीर्घकालिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता
ATAGS पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जिससे इसके लिए एक मजबूत स्पेयर सप्लाई चेन और जीवनचक्र मेंटेनेंस सुनिश्चित होगा. इससे भारत को दीर्घकालिक रक्षा तकनीकी आत्मनिर्भरता मिलेगी और भविष्य में रखरखाव व उन्नयन की निर्बाध उपलब्धता बनी रहेगी. ATAGS की सबसे बड़ी विशेषता इसकी विदेशी घटकों पर न्यूनतम निर्भरता है. इसके महत्वपूर्ण उप-प्रणालियां, जैसे नेविगेशन सिस्टम, मज़ल वेलोसिटी रडार, और सेंसर, स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित किए गए हैं. इससे भारत की विदेशी रक्षा तकनीक और आयात पर निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आएगी.