Business news: जल्द ही खाने-पीने के सामान महंगे होने वाले है. FMCG कंपनियां ने अपने प्रोडक्टों जैसे- पाम तेल, कॉफी और कोको के कीमतों को बढ़ा रही है, जिसका असर आपके जेब पर पड़ने वाली है. बढ़ती लागत और घटते मार्जिन की भरपाई करने के लिए कंपनियों ने यह कदम उठाया है. वहीं, हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (GCPL), मैरिको, आईटीसी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) ने शहरी खपत में कमी को लेकर चिंता जताई है.
एक रिपेार्ट की मानें तो एफएमसीजी क्षेत्र की कुल बिक्री में शहरी खपत की हिस्सेदारी 65-68 प्रतिशत रहती है. जीसीपीएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुधीर सीतापति ने दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा के दौरान कहा कि हमें लगता है कि यह एक अल्पकालिक झटका है और हम विवेकपूर्ण मूल्य वृद्धि और लागत को स्थिर करके मार्जिन को ठीक कर लेंगे.
ग्रामीण बाजारों में हुई वृद्धि
वहीं, सिंथोल, गोदरेज नंबर-वन, हिट जैसे उत्पाद बेचने वाली जीसीपीएल ने भारत में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और उपभोक्ता मांग में कमी के बाद भी एक स्थिर तिमाही प्रदर्शन किया है. इस दौरान खास बात ये है कि शहरी बजारों से पीछे रहे ग्रामीण बाजारों ने इस समय काफी वृद्धि की है. ऐसे में एक अन्य एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने भी कहा कि सितंबर तिमाही में मांग का माहौल चुनौतीपूर्ण था, जिसमें ‘उच्च खाद्य मुद्रास्फीति और शहरी मांग में कमी’ शामिल थी.
इसी बीच एचयूएल के सीईओ और प्रबंध निदेशक रोहित जावा ने कहा कि इस तिमाही में बाजार की मात्रा वृद्धि सुस्त रही है. ऐसे में स्थिति एकदम स्पष्ट है कि हाल की तिमाहियों या तिमाही में शहरी वृद्धि प्रभावित हुई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में धीमी वृद्धि जारी है, जो अब शहरी क्षेत्र से आगे निकल चुकी है.
महंगाई से कंपनियों को हुआ नुकसान
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लि. (टीसीपीएल) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुनील डिसूजा ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च काफी प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि शायद खाद्य महंगाई हमारी सोच से अधिक है, जिसका प्रभाव उससे भी कहीं ज्यादा है. वहीं, एचयूएल के पास सर्फ, रिन, लक्स, पॉन्ड्स, लाइफबॉय, लक्मे, ब्रुक बॉन्ड, लिप्टन और हॉर्लिक्स जैसे ब्रांड का स्वामित्व है, इसके बावजूद सितंबर तिमाही में उसके एकीकृत शुद्ध लाभ में 2.33 प्रतिशत की गिरावटदेखी गई. इसी तरह, मैरिको ने भी मांग में सालाना आधार पर ग्रामीण क्षेत्र में शहरी क्षेत्र की तुलना में दोगुना वृद्धि दर्ज की है.
अपने प्रोडक्ट के दाम बढ़ाएगी नेस्ले
इसी बीच डाबर च्यवनप्राश, पुदीन हरा और रियल जूस बनाने वाली कंपनी ने तिमाही के दौरान एकीकृत शुद्ध लाभ में 17.65 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है, जो 417.52 करोड़ रुपये रहा है. जबकि इस कंपनी की परिचालन आय 5.46 प्रतिशत घटकर 3,028.59 करोड़ रुपये रही है. ऐसे में ही नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने भी एफएमसीजी क्षेत्र में गिरावट पर चिंता जताते हुए कहा कि ‘मध्यम खंड’ दबाव में है क्योंकि उच्च खाद्य महंगाई ने घरेलू बजट को प्रभावित किया है.
कच्चे माल के कीमतों में होगी बढ़ातरी
वहीं, खाद्य महंगाई में वृद्धि के बारे में उन्होंने कहा कि फल और सब्जियों तथा तेल की कीमतों में ‘तेज उछाल’ आया है. अगर कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत का प्रबंधन मुश्किल हो जाएगा तो इससे कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. नारायणन ने कहा कि जहां तक कॉफी और कोको की कीमतों का सवाल है, हम खुद एक मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं. नेस्ले इंडिया के पास मैगी, किट कैट और नेस्कैफे जैसे ब्रांड का स्वामित्व है. कंपनी की बिक्री वृद्धि मामूली 1.2 प्रतिशत रही है. एक अन्य एफएमसीजी कंपनी आईटीसी ने लागत में बढ़ोतरी की वजह से मार्जिन में 0.35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है. कंपनी के पास आशीर्वाद, सनफीस्ट, बिंगो, यिप्पी जैसे ब्रांड का स्वामित्व है.
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