Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट ऐसे समय में पेश किया जब वैश्विक अनिश्चितता और भू-आर्थिक विखंडन अपने चरम पर है. इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने एक विकासोन्मुखी और सुधार-केंद्रित बजट पेश किया, जिसमें आर्थिक संतुलन बनाए रखते हुए वित्तीय अनुशासन को प्राथमिकता दी गई. इस साल के बजट की सबसे बड़ी मुख्य विशेषता मध्य वर्ग की क्रय शक्ति को बढ़ाने पर केंद्रित रही. इसके तहत ₹12 लाख तक की वार्षिक आय वालों को कर छूट देने का प्रस्ताव रखा गया. यह एक महत्वपूर्ण कदम है.
क्योंकि, इससे घरेलू उपभोग को बढ़ावा मिलेगा, जो समग्र आर्थिक विकास का एक प्रमुख घटक है. इसके साथ ही, वित्त मंत्री ने वित्तीय अनुशासन का परिचय देते हुए चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 4.8 प्रतिशत पर संतुलित रखा और अगले वर्ष इसे घटाकर 4.4 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा. यह समष्टि आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और किसी भी बाहरी आर्थिक संकट से निपटने के लिए आवश्यक है.
पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता
बजट में पूंजीगत व्यय को बढ़ाने की नीति जारी रखी गई. वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पूंजीगत व्यय का आवंटन बढ़ाकर ₹11.21 लाख करोड़ किया गया, जो 2024-25 में ₹10.18 लाख करोड़ था. पिछले एक दशक में लक्षित पूंजीगत व्यय सरकार की विकास रणनीति का एक अभिन्न अंग रहा है, जो आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के लिए उत्प्रेरक (catalyst) का कार्य करता है. बजट ने कृषि, ऊर्जा, खनन, निर्यात, निवेश, वित्तीय क्षेत्र और कर सुधारों पर बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया. विशेष रूप से, नवाचार, स्वच्छ ऊर्जा और गहरे तकनीकी अनुसंधान जैसे क्षेत्रों को सशक्त करने के लिए सरकार ने दीर्घकालिक विकास रणनीति अपनाई है.
एक प्रमुख घोषणा ₹20,000 करोड़ की “न्यूक्लियर एनर्जी मिशन” योजना के लिए की गई, जिसके तहत 2033 तक निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ 5 छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टर स्थापित किए जाएंगे. यह नीति भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की प्रमुख मांगों में से एक थी और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है. बजट ने रोजगार, कौशल विकास, स्टार्टअप, MSME, बुनियादी ढांचे और महिलाओं के उत्थान पर भी विशेष ध्यान दिया. ये सभी क्षेत्र उपभोग और निवेश के चक्र को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे. सरकार की इन पहलों से न केवल लोगों को सशक्त बनाया जाएगा, बल्कि समावेशी विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.