Budget 2025: निगमीकरण की समय-सीमा पांच वर्ष बढ़ाने से Startups में खुशी की लहर

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा स्टार्टअप्स के निगमन की समय-सीमा को 5 वर्ष बढ़ाकर 1 अप्रैल, 2030 तक करने की घोषणा से पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है. इस विस्तार से उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80-IAC के अंतर्गत कर लाभ प्राप्त करने की अनुमति मिल गई है. शनिवार को उन्‍होंने केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करते हुए कहा, “हम भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम का समर्थन करना जारी रखेंगे. मैं 1 अप्रैल, 2030 से पहले शामिल किए गए स्टार्टअप को लाभ उपलब्ध कराने के लिए निगमन की अवधि को पांच साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव करती हूँ.”

इस घोषणा को स्टार्टअप्स के लिए बड़ी जीत बताते हुए डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव संजीव सिंह ने कहा कि यह स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए रोमांचक खबर है. इकोनॉमिक लॉज प्रैक्टिस के पार्टनर राहुल चरखा ने कहा, धारा 80-आईएसी के अनुसार, स्टार्टअप्स स्थापना के वर्ष से 10 वर्षों में से लगातार तीन वर्षों तक मुनाफे पर 100% कर छूट का लाभ उठा सकते हैं. इस योजना का लाभ उठाने के लिए स्टार्टअप्स को डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त होने के अलावा, पात्र अवधि के दौरान किसी भी वित्तीय वर्ष में टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.

रस्तोगी चैम्बर्स के संस्थापक अभिषेक ए रस्तोगी ने कहा कि अधिक स्टार्टअप इस महत्वपूर्ण कर लाभ के लिए अर्हता प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनके प्रारंभिक वर्षों के दौरान नकदी प्रवाह और लाभप्रदता में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा, “विस्तारित कर लाभ के साथ, स्टार्टअप उद्यम पूंजी और एन्जेल निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक निवेश के रास्ते बन गए हैं, क्योंकि अब शुरुआती चरणों में उच्च लाभप्रदता की उम्मीद की जा सकती है.”

क्रिसकैपिटल के पार्टनर और मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) एशले मेनेजेस ने कहा, “यह अतिरिक्त रनवे युवा उद्यमों को विस्तार करने, रोजगार सृजन करने और भारत की आर्थिक वृद्धि में सार्थक योगदान देने के लिए एक स्थिर नीतिगत ढांचा प्रदान करेगा.”

सरकार के फैसले का किया स्वागत

विभिन्न क्षेत्रों के स्टार्टअप्स ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि इस कदम से वित्तीय राहत मिलेगी और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा. ऑनलाइन ज्योतिष मंच एस्ट्रोयोगी के सह-संस्थापक और सीओओ आदित्य कपूर ने कहा कि वह स्टार्टअप्स पर बजट के प्रभाव को लेकर आशावादी हैं. उन्होंने कहा, “बजट 2025 में प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाना सराहनीय है. विस्तारित निगमन अवधि नवाचार और विकास के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाएगी.”

इसके अतिरिक्त, यह विस्तार सरकार द्वारा 10,000 करोड़ रुपये आवंटित करके फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) बनाने की घोषणा के साथ आया है.“बजट आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे और समावेशिता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, साथ ही एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देता है जहां स्टार्टअप और व्यवसाय फल-फूल सकते हैं. कर लाभों का विस्तार शुरुआती चरण के उद्यमों के लिए बहुत जरूरी वित्तीय राहत और स्थिरता प्रदान करता है,” इस्तेमाल की गई कार बाज़ार CARS24 के सह-संस्थापक गजेंद्र जांगिड़ ने कहा.

साइबर सुरक्षा फर्म सीक्वेरेटेक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पंकित देसाई ने छूट को एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा, “इस विस्तार से अधिक स्टार्टअप को विस्तारित कर रियायतों जैसे लाभों का आनंद लेने की अनुमति मिलेगी. यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि स्टार्टअप को अक्सर लाभदायक बनने के लिए लंबी समयसीमा की आवश्यकता होती है.” फिनटेक फर्म एक्सियो के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अक्षय शर्मा ने कहा, “स्टार्टअप्स के लिए 2030 तक निगमन लाभ का विस्तार दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करता है और नवाचार को प्रोत्साहित करता है, जिससे सतत आर्थिक विकास में योगदान मिलता है.”

विस्तार के अलावा, बजट में कुछ कराधान मुद्दों पर भी स्पष्टता लाई गई. इसमें “समानता और स्पष्टता” के संबंध में एआईएफ उद्योग पर स्पष्टता शामिल है. 3one4 कैपिटल के संस्थापक भागीदार और इंडियन वेंचर एंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन में नियामक मामलों की समिति के सह-अध्यक्ष सिद्धार्थ पई ने कहा, “धारा 2(14) के तहत भारतीय एआईएफ द्वारा रखी गई प्रतिभूतियों को पूंजीगत संपत्ति के रूप में वर्गीकृत करने से यह सुनिश्चित होगा कि उनकी बिक्री से होने वाले सभी लाभों पर पूंजीगत लाभ के रूप में कर लगाया जाएगा, न कि व्यावसायिक आय के रूप में. मुकदमेबाजी को कम करने के लिए 2014 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को यह पेशकश की गई थी. भारतीय एआईएफ के पास अब वही स्पष्टता है.”

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