साल 2030 तक सहकारी क्षेत्र में बनेंगे 5.5 करोड़ नई नौकरियों के मौके, 5.6 करोड़ लोगों को मिलेगा स्वरोजगार: रिपोर्ट

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Self Employment: भारत के सहकारी क्षेत्र में 2030 तक प्रत्यक्ष रूप से 5.5 करोड़ नौकरियां और 5.6 करोड़ स्वरोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी प्राइमस पार्टनर्स ने वीरवार को सहकारी क्षेत्र पर जारी रिपोर्ट में कहा कि भारत का सहकारी तंत्र वैश्विक स्तर पर 30 लाख सहकारी समितियों में से करीब 30% का प्रतिनिधित्व करता है. रिपोर्ट में आगे कहा गया, ‘‘भारत 2030 तक 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है और ऐसे में सहकारी क्षेत्र आशा तथा क्षमता की किरण बना हुआ है.’’ प्राइमस पार्टनर्स ने कहा है कि सहकारिता, भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) का सिर्फ एक हिस्सा नहीं हैं, बल्कि प्रगति और समृद्धि को बढ़ावा देने वाला एक पावरफुल इंजन है.

साल 2030 तक 55 मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार

‘भारतीय सहकारी आंदोलन’ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2016-17 तक अर्थव्यवस्था में कुल रोजगार में सहकारी समितियों का योगदान 13.3% था, जो 2007-08 के 1.2 मिलियन रोजगार से बढ़कर 2016-17 में 5.8 मिलियन हो जाने की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है, जो कि 18.9% की चौंका देने वाली वार्षिक वृद्धि है. सलाहकार ने कहा, “सहकारी समितियों में 2030 तक 55 मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार और 56 मिलियन स्वरोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता है, जिससे रोजगार सृजनकर्ता के रूप में उनकी भूमिका और भी बढ़ जाएगी.”

रोजगार के अलावा, प्राइमस पार्टनर्स ने यह भी कहा कि सहकारी समितियां स्वरोजगार के अवसर पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2006-07 में 15.47 मिलियन अवसरों से बढ़कर 2018 तक 30 मिलियन तक पहुंच जाने के साथ, सहकारिताएं स्वरोजगार की आधारशिला हैं. 5-6% की वृद्धि दर बनाए रखते हुए, यह क्षेत्र 2030 तक 56 मिलियन स्वरोजगार अवसर पैदा कर सकता है.”

साल 2030 तक जीडीपी में 3-5% तक का योगदान

सलाहकार ने आगे कहा, सकल घरेलू उत्पाद पर इनका प्रभाव भी उतना ही आकर्षक है और साल 2030 तक इनका संभावित योगदान 3-5% तक हो सकता है. साथ ही प्रत्यक्ष और स्वरोजगार दोनों को ध्यान में रखते हुए यह 10% से अधिक हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में लगभग 8.5 लाख सहकारी समितियों के विशाल नेटवर्क, जिनकी सदस्य संख्या 29 करोड़ है, की स्वायत्तता, आत्मनिर्भरता और लोकतांत्रिक प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए उनकी वित्त पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम बनाना आवश्यक है.”

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