केंद्र सरकार मूल्य समर्थन योजना और मूल्य स्थिरीकरण कोष के माध्यम से किसानों से तुअर, उड़द और मसूर की आक्रामक खरीद करने का लक्ष्य लेकर चल रही है, ताकि किसानों को यह आश्वासन दिया जा सके कि उनकी उपज सरकार द्वारा खरीदी जाएगी. दो सरकारी सहकारी समितियों, नैफेड और एनसीसीएफ, को किसानों को उत्पादन बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिए आक्रामक तरीके से दालों की खरीद शुरू करने का निर्देश दिया गया है.
सूत्रों ने कहा, कृषि और उपभोक्ता मामलों के विभागों के अधिकारियों और अन्य हितधारकों की मौजूदगी में एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी बैठक में दोनों सहकारी समितियों को निर्देश जारी किए गए. दोनों एजेंसियों ने बुवाई के मौसम से पहले महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में उनकी उपज की खरीद के लिए लगभग 21 लाख किसानों को पहले से पंजीकृत किया है. जबकि पीएसएफ के तहत आवंटित निधि का उपयोग किसानों को समर्थन देने के लिए किया जाता है, जब बाजार की कीमतें MSP से नीचे गिर जाती हैं. पीएसएफ का उपयोग कृषि वस्तुओं की कीमतों को स्थिर करने और उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए किया जाता है.
उड़द, अरहर और मसूर की दालों की जाएगी खरीद
यह निर्देश सरकार की उस प्रतिबद्धता के बीच आया है जिसमें उसने उड़द, अरहर और मसूर की दालों की 100% खरीद करने की बात कही है, जिनका देश में बड़ी मात्रा में आयात होता है. साथ ही कहा कि किसानों द्वारा मजबूरी में बिक्री को रोकन लगेगी. एक सूत्र ने कहा, “अब हम न केवल MSP पर बल्कि मंडियों के भाव के करीब कीमत पर दालें खरीद रहे हैं. जब तक हम किसानों को यह भरोसा नहीं दिलाते कि उन्हें लाभकारी मूल्य मिलेगा, वे दालें नहीं उगाएंगे. इस कदम से देश के दाल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और देश आत्मनिर्भर बनेगा.”
गतिशील न्यूनतम सुनिश्चित खरीद मूल्य (एमएपीपी) के तहत, कृषि मंत्रालय ने मंजूरी दी है कि एजेंसियां पिछले तीन दिनों के औसत मंडी भाव के आधार पर तुअर और उड़द खरीद सकती हैं. पिछले दो वर्षों में सरकारी एजेंसियां दालों की इन तीन किस्मों की खरीद नहीं कर पाईं, क्योंकि उत्पादन में गिरावट और मांग में वृद्धि के कारण मंडियों में कीमतें एमएसपी से ऊपर चल रही थीं. इस महीने के अंत तक मंडियों में तुअर की आवक बढ़ने की संभावना है. सरकार को पीएसएस का उपयोग करके एमएसपी पर दालें खरीदनी होंगी क्योंकि मजबूत फसल की संभावनाओं ने तुअर की मंडी कीमतों को 7,550 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे प्रभावित करना शुरू कर दिया है.
तुअर के मुफ्त आयात को सरकार ने मार्च 2026 तक बढ़ाया
सरकार ने कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सोमवार को तुअर दाल के मुफ्त आयात को अगले साल 31 मार्च तक बढ़ा दिया. विदेश व्यापार महानिदेशक ने अधिसूचना जारी की. सरकार ने 15 मई, 2021 से ‘मुफ्त श्रेणी’ के तहत तुअर के आयात की अनुमति दी थी. इसके बाद समय-समय पर मुफ्त व्यवस्था को बढ़ाया गया है. मौजूदा मुफ्त आयात नीति पहली बार मई 2021 में शुरू की गई थी और घरेलू उत्पादन में गिरावट के बीच इसे कई बार बढ़ाया गया है.