केंद्रीय रेलवे ने अपनी बिजली जरूरतों के लिए हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया है और भारतीय रेलवे में खुले बाजार से बिजली खरीदने का कंसेप्ट शुरू किया, जिसके कारण उसने करीब एक दशक में 6,005 करोड़ रुपये की बचत की है. एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. अधिकारी के मुताबिक, पहले भारतीय रेलवे अपनी बिजली की जरूरतों को राज्य विद्युत बोर्ड या डिस्कॉम (वितरण कंपनियों) से उच्च दरों पर पूरा करता था.
समय के साथ और खर्चों को कम करने के लिए भारतीय रेलवे ने विभिन्न रणनीतियाँ अपनाई। इनमें से एक प्रमुख खुला बाजार तरीका था, जिसमें रेलवे ने सस्ती बिजली स्रोतों जैसे प्रमुख पावर एक्सचेंजेस, जनरेटर या द्विपक्षीय समझौतों से सीधे बिजली खरीदने की प्रक्रिया को अपनाया. इससे लागत में कमी आई और रेलवे ने बड़ी बचत की.
2015 में केंद्रीय रेलवे ने शुरू किया था खुला बाजार से बिजली खरीदना
केंद्रीय रेलवे भारतीय रेलवे का पहला क्षेत्र था, जिसने 2015 में खुला बाजार से बिजली खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी. इसके बाद से 2015-16 से लेकर अब तक केंद्रीय रेलवे ने 6,005 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है. इस बचत की शुरुआत 2015-16 में 161.20 करोड़ रुपये से हुई थी, जो 2024-25 तक बढ़कर 690.47 करोड़ रुपये हो गई. बचत को पुराने बिजली खरीदने के खर्च के साथ तुलना करके निकाला गया था, जो 8.69 रुपये प्रति किलावाट घंटा था.
खुला बाजार से बिजली खरीदने का एक नियामक तंत्र है, जो व्यवसायों को विभिन्न स्रोतों से बिजली खरीदने की अनुमति देता है, बजाय इसके कि वे केवल अपनी स्थानीय वितरण कंपनी से ही बिजली खरीदें। इससे व्यवसायों को पैसे बचाने, नवीकरणीय ऊर्जा तक पहुंचने और अधिक बिजली आपूर्ति विकल्पों का लाभ मिलता है. केंद्रीय रेलवे ने इस बारे में एक मीडिया बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि खुले बाजार से बिजली खरीदने के कई लाभ हैं, जैसे लागत में कमी, खरीदारी में लचीलापन, आपूर्ति की बेहतर अनुकूलता, बाजार आधारित मूल्य निर्धारण का लाभ, अनेक स्रोतों से आपूर्ति के कारण विश्वसनीयता में वृद्धि और किसी एक स्रोत पर निर्भरता कम होना.