भारत का रक्षा क्षेत्र लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है. इसी कड़ी में अब केंद्र सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीरवार को कहा कि इस साल भारत का रक्षा उत्पादन 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है और 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये के सैन्य उपकरण बनाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि भारत रक्षा उपकरणों के आयात पर अपनी निर्भरता कम करेगा और एक रक्षा औद्योगिक पर्यावरण प्रणाली बनाएगा, जो न केवल देश की जरूरतों को पूरा करेगी बल्कि रक्षा निर्यात क्षमता को भी मजबूत करेगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘डिफेंस कॉन्क्लेव 2025-फोर्स ऑफ द फ्यूचर’ में अपने संबोधन में यह बात कही. क्या है मकसद? सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता का मकसद विवाद और संघर्ष को भड़काना नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा क्षमताएं क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए एक विश्वसनीय निवारक हैं और शांति तभी संभव है जब भारत मजबूत रहेगा। रक्षा मंत्री ने किस ओर इशारा किया.
उन्होंने भारत की बढ़ती सामरिक क्षमताओं का जिक्र करते हुए कहा, देश अब मिसाइल तकनीक (अग्नि, ब्रह्मोस मिसाइल), पनडुब्बी (आईएनएस अरिहंत), विमानवाहक पोत (आईएनएस विक्रांत), ड्रोन, साइबर डिफेंस और हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकसित देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है. राजनाथ सिंह ने कावेरी इंजन परियोजना के तहत हुई महत्वपूर्ण प्रगति और घरेलू क्षमता निर्माण के लिए सफ्रान, जीई और रोल्स रॉयस जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ चल रही चर्चाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘एयरो इंजन निर्माण एक चुनौती बनी हुई है.’