रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) ने 2025 को “सुधारों का वर्ष” घोषित किया है. यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब भारत में रक्षा उत्पादन FY21 से FY24 तक 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है और पिछले एक दशक में निर्यात में 31 गुना वृद्धि हुई है. यह सफलता नीतिगत सुधारों, स्वदेशीकरण को प्राथमिकता देने, सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति को आसान बनाने जैसे उपायों से संभव हुई है. अब जब एयरो इंडिया, केंद्रीय बजट और रक्षा खरीद नीति 2020 में संशोधन की घोषणा होने वाली है, तो बहुत कुछ देखने की उम्मीद है. 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए उठाए गए कदम महत्वपूर्ण हैं. इन्हें निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
नवाचार: रिसर्च और डेवलपमेंट को स्वदेशी सामग्री के दायरे में शामिल करना होगा. “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम और “टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड” जैसे प्रयास नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं. लेकिन “रेजिडेंट कंट्रोल” जैसे शर्तों को फिर से विचार करना आवश्यक है.
रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल: नीति आयोग के अनुसार, भारत का MRO बाजार 2031 तक $4 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है. सस्ती लागत, अंग्रेजी बोलने वाली विविध इंजीनियरिंग प्रतिभा के साथ, भारत न केवल इस मांग को पूरा कर सकता है बल्कि एक वैश्विक एमआरओ केंद्र बन सकता है. सरकार ने GST दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है, लेकिन इसे पूरी तरह से छूट देने से यह सिंगापुर जैसे अन्य MRO हब के मुकाबले प्रतिस्पर्धात्मक बनेगा.
खरीद प्रक्रिया में सुधार: हथियार खरीद प्रक्रिया को समय के अनुसार नहीं बदला गया है. इसे सरल और समयबद्ध बनाने की आवश्यकता है. नए सिस्टम में अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करना चाहिए.
उपयुक्त प्रोत्साहन: उत्पादन-लिंक्ड इंसेंटिव और रियायती कर दरों की सफलता को देखते हुए इसे रक्षा क्षेत्र तक बढ़ाया जाना चाहिए. रक्षा निर्माताओं के लिए 15 प्रतिशत रियायती कॉर्पोरेट कर दर लागू की जा सकती है.
पूंजी और क्षमता: भारतीय रक्षा क्षेत्र को पूंजी के साथ-साथ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से क्षमताओं की आवश्यकता है. विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों को “भारतीय विक्रेता” के रूप में मान्यता देने से तकनीकी क्षमता और बौद्धिक संपदा अधिकारों को बढ़ावा मिलेगा.
समुचित बजट: पिछले वर्ष पूंजीगत व्यय में केवल 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. अब जब 2025 को रक्षा सुधार का वर्ष घोषित किया गया है, तो रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूंजीगत व्यय में पर्याप्त वृद्धि की आवश्यकता है.
स्वदेशी सामग्री: DAP 2020 में OEMs को 50-60 प्रतिशत स्थानीय सामग्री का स्रोत भारत से प्राप्त करने की आवश्यकता है. यह लक्ष्य महत्वाकांक्षी है और व्यावहारिक दृष्टि से इसे 30 प्रतिशत तक घटाना बेहतर होगा. इसके अलावा, इंजीनियरिंग सपोर्ट, बिक्री के बाद सहायता और कौशल विकास जैसी सेवाओं को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है.
आत्मनिर्भरता की राह: सरकार और निजी क्षेत्र के बीच करीबी सहयोग आवश्यक है. यह रक्षा क्षेत्र को मजबूत और नवाचारी बनाने के साथ-साथ पर्याप्त बजटीय आवंटन सुनिश्चित करेगा. सरकार उद्योग की चिंताओं को समझने और अपने कदम उठाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. 2025 के “रक्षा सुधारों के वर्ष” के तहत यह सहयोग भारत के आत्मनिर्भरता के सपने को जल्द साकार करने में मदद करेगा.