वैश्विक स्तर पर पेट्रोकेमिकल्स की मांग आपूर्ति से पीछे चल रही है, लेकिन भारत में साल 2025 में भी इसकी मजबूत मांग बनी रहेगी. इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल और घरेलू उपकरणों की बढ़ती जरूरत से इस क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. इंडिया एनर्जी वीक सम्मेलन में उद्योग विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी.
भारत पेट्रोलियम के रिफाइनरी निदेशक संजय खन्ना ने कहा, “हम प्रोपलीन जैसे क्षेत्रों में अच्छी स्थानीय मांग देख रहे हैं, जहां हमारी कंपनी काम कर रही है.” इंडियन ऑयल के चेयरमैन ए एस सहनी ने भी कहा कि इस साल मांग मजबूत बनी रहेगी. पेट्रोकेमिकल्स का उपयोग प्लास्टिक, पेंट और फार्मा जैसे कई उद्योगों में किया जाता है.
टोटल एनर्जी के वैश्विक पेट्रोकेमिकल ट्रेडिंग प्रमुख गणेश गोपालकृष्णन ने कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में अच्छी मांग बनी हुई है और व्हाइट गुड्स (इलेक्ट्रॉनिक उपकरण) की बिक्री में भी सुधार हो रहा है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर पेट्रोकेमिकल मार्जिन अगले कुछ सालों तक कमजोर रहने की संभावना है. चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा पेट्रोकेमिकल उपभोक्ता है, वहां मांग सुस्त बनी हुई है. साथ ही, चीन और मिडल ईस्ट में नए प्लांट खुलने से आपूर्ति बढ़ गई है. गणेश गोपालकृष्णन के अनुसार, “उद्योग को चीन की ओर से मार्च में एक बड़े प्रोत्साहन योजना की घोषणा का इंतजार है. इससे चीन की मांग बढ़ सकती है और वैश्विक स्तर पर मार्जिन में सुधार आ सकता है.”
भारत में बढ़ रहा है निवेश
भारत में पेट्रोकेमिकल्स सेक्टर में लगातार निवेश हो रहा है. पिछले साल देश के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि अगले 10 वर्षों में भारत में 87 अरब डॉलर का निवेश होने की उम्मीद है. भारत हर साल 25 से 30 मिलियन मीट्रिक टन पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खपत करता है. यह उद्योग वर्तमान में 220 अरब डॉलर का है और 2025 तक इसके 300 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है.
नयारा एनर्जी और हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स जैसी कंपनियां पहले ही अपने उत्पादन में वृद्धि की योजना बना चुकी हैं. पेट्रोनेट एलएनजी गुजरात में 750,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष क्षमता वाला प्रोपेन डीहाइड्रोजनेशन यूनिट और 500,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष का पॉलीप्रोपलीन यूनिट स्थापित कर रही है. पेट्रोनेट एलएनजी के सीईओ अक्षय कुमार सिंह ने कहा, “पेट्रोकेमिकल सेक्टर में मंदी हमेशा चक्रीय रही है और हमें उम्मीद है कि अगले तीन वर्षों में मार्जिन में सुधार होगा.”