वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव मनोज गोविल ने कहा है कि सरकारी पूंजीगत व्यय में तेजी आने की उम्मीद है और इसके संकेत पहले ही दिखने लगे हैं. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से एक साक्षात्कार में कहा कि इस वर्ष बजट अनुमोदन अगस्त में हुआ था, जिसके कारण पूंजीगत व्यय बजट से कम हुआ. मनोज गोविल ने कहा कि चुनावों के कारण राज्य सरकारों ने भी पहले कुछ महीनों में कम व्यय किया.
चुनावी गतिविधियों के कारण कई सरकारी अधिकारी चुनाव ड्यूटी पर तैनात हो जाते हैं, जिससे कुछ सरकारी गतिविधियों में देरी होती है. हालांकि, अब स्थिति सुधार रही है और अप्रैल से जनवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक, पूंजीगत व्यय पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि की तुलना में ₹30,000 करोड़ अधिक है.
वेतन आयोग और सरकारी खर्च
वेतन आयोग के बारे में बात करते हुए मनोज गोविल ने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष में इसके परिणामस्वरूप कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होगा. सरकार को उम्मीद है कि वेतन आयोग अप्रैल तक स्थापित हो जाएगा. वेतन आयोग के द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने और उस पर कार्यवाही में कुछ समय लगेगा, जिसके बाद 2026 से इसका असर दिखेगा.
यूपीएस के तहत कर्मचारियों का विकल्प
मनोज गोविल ने कहा कि यूपीएस एक आकर्षक विकल्प है, क्योंकि इसमें महंगाई के हिसाब से पेंशन मिलती है. कई राज्य सरकारों ने पहले ही यूपीएस को लागू करने का संकेत दिया है और पीएफआरडीए (पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) ने इसके लिए मसौदा नियम जारी कर दिए हैं.
वेतन आयोग के पहले वर्ष में ₹7,000 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है, जिसमें ₹800 करोड़ पेंशन के लिए बकाया राशि के रूप में जुड़ेंगे. अगले साल में यह खर्च ₹6,250 करोड़ के करीब हो सकता है, जो महंगाई भत्ते और वेतन में वृद्धि के कारण बढ़ सकता है.