चालू वित्त वर्ष में 3 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का निर्यात

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के साथ देश में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात चालू वित्त वर्ष में पहली बार 3 लाख करोड़ रुपये को पार करने वाला है, जिसमें स्मार्टफोन का योगदान अहम रहने वाला है. स्मार्टफोन का सबसे बड़ा योगदान रहा. यह वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि के आंकड़े से 54% अधिक है. FY25 के पहले 11 महीनों में एप्पल आईफोन का निर्यात 1.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का 43% और कुल स्मार्टफोन निर्यात का 70% है.
भारत सेलुलर और इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, सरकार को उम्मीद थी कि 2024-25 के दौरान स्मार्टफोन निर्यात 20 बिलियन डॉलर (1.68 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा, लेकिन चालू वित्त वर्ष के 11 महीनों में ही यह अनुमान पार हो चुका है. सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के कारण हाल के वर्षों में स्मार्टफोन के नेतृत्व में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान निर्यात में तेजी आई है, जिसने एप्पल और उसके सप्लायर्स जैसी विदेशी तकनीकी कंपनियों को लुभाने में सफलता प्राप्त की है, जो चीन के अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत आने के बाद चीन से बाहर वैकल्पिक सप्लाई चेन स्थापित करना चाहते हैं.
पीएलआई योजना ने निर्यात को बढ़ावा दिया है और आयात को कम किया है, क्योंकि घरेलू उत्पादन अब घरेलू मांग का 99 प्रतिशत पूरा करता है. निर्यात में करीब 70% योगदान एप्पल आईफोन सप्लाई चेन का था, जो तमिलनाडु स्थित फॉक्सकॉन प्लांट के साथ है, जो विदेशी शिपमेंट का लगभग 50% है. फॉक्सकॉन फैक्ट्री से निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई. 22 प्रतिशत निर्यात आईफोन विक्रेता टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स से आया, जिसने कर्नाटक में विस्ट्रॉन स्मार्टफोन निर्माण फैक्ट्री का अधिग्रहण किया है.
इसके अलावा, 12 प्रतिशत निर्यात खेप तमिलनाडु में पेगाट्रॉन प्लांट से आया, जिसमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने जनवरी के अंत में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की. दो ताइवानी कंपनियों के अधिग्रहण के साथ, टाटा समूह देश में आईफोन का एक प्रमुख उत्पादक बनकर उभरा है. दक्षिण कोरियाई टेक दिग्गज सैमसंग ने भारत से कुल स्मार्टफोन निर्यात में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान दिया. इस बीच, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं ने 1.61 लाख करोड़ रुपये का निवेश, 14 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 5.31 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया है, जबकि 11.5 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं.

More Articles Like This

Exit mobile version