Forex Reserves: 4.55 अरब डॉलर बढ़ा देश का विदेशी मुद्रा भंडार, गोल्ड रिजर्व में भी इजाफा

Raginee Rai
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Forex Reserve: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. देश के विदेशी मुद्रा भंडार 16 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान 4.55  अरब डॉलर बढ़कर 674.7 अरब डॉलर हो गया. इसकी जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को दी.  बता दें कि 2 अगस्त को, विदेशी मुद्रा भंडार 674.9 अरब डॉलर के हाई लेवल पर पहुंच गया था, जिसके बाद 9 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह 4.8 बिलियन डॉलर से कम होकर 670.1 बिलियन डॉलर पर आ गया.

FCA 3.609  अरब डॉलर बढ़ा

पिछले कुछ समय से विदेशी मुद्रा भंडार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. अकेले साल 2024 में, वे संचयी तौर पर लगभग 45-50 अरब डॉलर तक बढ़ गए हैं. आरबीआई के लेटेस्‍ट आंकड़ों के मुताबिक, भारत की विदेशी मुद्रा आस्तियाँ (FCA), जो विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है, 3.609  अरब डॉलर बढ़कर 591.569 अरब डॉलर हो गई है.

सोने का भंडार में भी इजाफा  

केंद्रीय बैंक के मुताबिक, इस सप्ताह के दौरान सोने का भंडार (Gold Reserve) 865 मिलियन डॉलर बढ़कर 60.1 बिलियन डॉलर हो गया है. स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 60 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.3 अरब डॉलर हो गए. सप्ताह के दौरान आईएमएफ में भारत का रिजर्व पॉजीशन 12 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.65 बिलियन डॉलर हो गई. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 अगस्त को ऐलान किया था कि 2 अगस्त तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 675 बिलियन डॉलर के ऐतिहासिक हाई लेवल को छू गया है.

उन्होंने कहा कि हम अपनी बाहरी वित्तपोषण आवश्यकताओं को आराम से पूरा करने के योग्‍य हैं. शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) 2022-23 में जीडीपी का 2 फीसदी था जो अब घटकर 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 फीसदी हो गया. उन्होंने कहा कि 2024-25 की पहली तिमाही में निर्यात की तुलना में आयात तेजी से बढ़ने के वजह से व्यापारिक व्यापार घाटा बढ़ गया है.

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने के मायने

विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी सिद्धांतों को दिखाती है और आरबीआई द्वारा रुपये के अस्थिर होने पर उसे स्थिर करने के लिए अधिक व्यवस्था प्रदान करती है. एक मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार केंद्रीय बैंक को रुपये को भारी गिरावट से बचाने के लिए अधिक डॉलर जारी करके स्पॉट और फॉरवर्ड मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाता है. इसके विपरीत, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से RBI के पास रुपये की गिरती कीमत को सहारा देने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की संभावना कम हो जाती है.

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