FPI Investment: भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन और कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों के वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) चीन के बाजार में निवेश कर रहे हैं. इसके चलते घरेलू बाजार में पीएफआई की बिकवाली थमने का नाम नहीं ले रही है. इस महीने अब तक एफपीआई ने घरेलू शेयर बाजारों से 26,533 करोड़ रुपये निकाले हैं. दरअसल एफपीआई अपना रुख अधिक आकर्षक मूल्यांकन वाले बाजारों की ओर कर रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप की पॉलिसीज पर नजर
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, इस ताजा निकासी के बाद साल 2024 में अब तक विदेशी निवेशक घरेलू शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 19,940 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आगे चलकर घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का प्रवाह अमेरिकी के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर निर्भर करेगा. इसके अलावा मुद्रास्फीति और नीतिगत दर भी विदेशी निवेशकों के रुख के लिए अहम होगी.
नवंबर महीने में 26,533 करोड़ रुपये निकाले
हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की दिशा के लिए कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे और भू-राजनीतिक घटनाक्रम भी अहम रहेंगे. आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने इस महीने अबतक यानी 22 नवंबर तक शेयरों से शुद्ध रूप से 26,533 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. वहीं अक्टूबर 2024 में उन्होंने 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी, जो किसी एक माह में उनकी निकासी का सबसे ऊंचा आंकड़ा था. बीते सितंबर में FPI ने घरेलू शेयर बाजार में 57,724 करोड़ रुपये डाले थे, जो उनके निवेश का 9 महीने का उच्चस्तर था.
हाई वैल्यूएशन चिंता की बात
हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भारत की कीमत पर चीन विदेशी निवेशकों से अपने आकर्षक मूल्यांकन के चलते प्रवाह प्राप्त कर रहा है. इसके साथ ही चीन ने अपनी सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए हाल में कई प्रोत्साहन उपायों का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे भी उम्मीद के प्रतिकूल रहे हैं. मुद्रास्फीति भी हाई लेवल पर बनी हुई है, जिसके चलते एफपीआई निकासी कर रहे हैं.
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