FPI Investment: घरेलू शेयर बाजार के हाई वैल्यूएशन और चीन स्पेशल पैकेज के वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से मुनाफावसूली कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद डॉलर इंडेक्स में तेजी देखने आई है. जिसका असर अमेरिकी यील्ड में देखने को मिल रहा है. विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकालकर अमेरिकी सिक्योरिटीज की ओर आकर्षित हो रहे हैं. यही वजह है कि बीते करीब 50 दिनों में विदेशी निवेशक शेयर बाजार से एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा निकाल चुके हैं. आइए जानते हैं कि आखिर अक्टूबर और नवंबर के महीने में निवेशकों ने स्टॉक मार्केट से कितने पैसे निकाले हैं.
शेयर बाजार पर FPI तांडव
घरेलू शेयर बाजार के ऊंचे मूल्यांकन, चीन में बढ़ते आवंटन तथा अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ ट्रेजरी प्रतिफल में बढ़ोत्त्री के वजह से विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक भारतीय इक्विटी बाजार से 22,420 करोड़ रुपए निकाले हैं. इस बिकवाली के साथ, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 2024 में अब तक कुल 15,827 करोड़ रुपए निकाले हैं. आंकड़ों के मुताबिक, इस महीने अब तक FPI ने 22,420 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी दर्ज की है. यह अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी के बाद आया है, जो सबसे खराब मासिक निकासी थी. इससे पहले मार्च, 2020 में FPI ने इक्विटी से 61,973 करोड़ रुपए निकाले थे.
दो महीने में करीब 1.16 लाख करोड़ रुपये
विदेशी निवेशकों ने सितंबर, 2024 में 9 महीने के उच्चतम स्तर 57,724 करोड़ रुपए का निवेश किया. वैसे अक्टूबर और नवंबर की अब तक की निकासी को जोड़ लिया जाए तो एफपीआई ने करीब 50 दिनों में घरेलू शेयर बाजार से करीब 1,16,437 करोड़ रुपए निकाले हैं. वहीं दूसरी ओर, एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि में डेट जनरल लिमिट में 42 करोड़ रुपए और डेट स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (VRR) में 362 करोड़ रुपए का इन्वेस्ट किया. इस साल अब तक एफपीआई ने डेट बाजार में 1.06 लाख करोड़ रुपए लगाया है.
क्या कहना है जानकारों का
फोरविस माजर्स इन इंडिया के साझेदार, वित्तीय सलाहकार अखिल पुरी ने बताया कि तरलता कम होने के साथ ही एफपीआई प्रवाह अल्पावधि में कम रहने की उम्मीद है. जनवरी की शुरुआत से पहले FPI गतिविधि में सकारात्मक बदलाव की संभावना नहीं है, जिससे कुल मिलाकर घरेलू बाजार की धारणा कमज़ोर बनी हुई है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अक्टूबर से FPI की लगातार बिकवाली तीन कारकों के संयुक्त प्रभाव के वजह से हुई है. ये कारक भारत में हाई वैल्यूएशन, इनकम में गिरावट को लेकर चिंताएं और अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के चलते भी धारणाएं प्रभावित हुई हैं.
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