‘कवच’ ट्रेन से लेकर Make-In-India सेमीकंडक्टर चिप तक: रेल मंत्री ने भारत के तकनीकी भविष्य का खींचा खाका

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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ट्रेन दुर्घटनाओं में पिछले एक दशक में करीब 80% की कमी को उजागर करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने बुधवार को आशा व्यक्त की कि ‘कवच’ ट्रेन सुरक्षा प्रणाली अगले छह वर्षों के भीतर भारत के रेल नेटवर्क में पूरी तरह से तैनात हो जाएगी. वैष्णव ने न्यूज18 राइजिंग भारत समिट में बोलते हुए कहा, “पायलट की प्रतिक्रिया अच्छी थी. अच्छी प्रगति हुई है. 15,000 किलोमीटर के साथ 10,000 लोको में इसे लागू करने का काम चल रहा है. उन्‍होंने बताया कि कई अमीर देशों को अपने नेटवर्क को कवर करने में लगभग 20 साल लग गए और मुझे लगता है कि हमें इसे छह साल में पूरा करने में सक्षम होना चाहिए.”
भारत में विकसित कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली, अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा पिछले वर्ष जुलाई में इसके संस्करण 4.0 को मंजूरी दिए जाने के बाद, देश भर में अपनाए जाने की ओर अग्रसर है. उन्‍होंने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों पर चर्चा करते हुए कहा, यह ट्रेन गति, अंदर के शोर और कंपन के स्तर के मामले में भारत में मौजूद अधिकांश शीर्ष ट्रेनों से आगे है.” ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका डिज़ाइन बहुत सोच-समझकर बनाया गया है.” उन्होंने 19 अप्रैल को कटरा-श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन के शुभारंभ का जिक्र करते हुए इसके महत्व पर जोर देते हुए कहा, “जम्मू और श्रीनगर को रेल से जोड़ना देश का एक बड़ा सपना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत दृढ़ संकल्प के साथ इसका सपना देखा है.
यह एक ऐसी परियोजना है जिसके लिए जबरदस्त दृढ़ता, जबरदस्त डिजाइन कार्य, ढेर सारे इंजीनियरिंग इनपुट की आवश्यकता थी। यह बहुत कठिन परियोजना है, लेकिन यह प्रधानमंत्री की राजनीतिक इच्छाशक्ति है कि यह परियोजना पूरी हो गई है.” वैष्णव ने बुधवार को न्यूज18 राइजिंग भारत समिट में यह भी घोषणा की कि पहली मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप इस साल लॉन्च होने की संभावना है, साथ ही सभी पांच इकाइयों में निर्माण योजना के अनुसार आगे बढ़ रहा है. टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (पीएसएमसी) के साथ साझेदारी में गुजरात के धोलेरा में देश का पहला सेमीकंडक्टर फैब बना रही है. इसकी प्रगति पर विस्तृत जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, “सभी पांच इकाइयों का निर्माण बहुत अच्छी तरह से चल रहा है.
संयंत्र अब स्थापित हो रहे हैं, और कुछ स्थानों पर मशीनरी सत्यापन पहले से ही चल रहा है। इस साल पहली मेड-इन-इंडिया चिप को रोल आउट करने के लिए यह पूरी तरह से सही रास्ते पर है.” उन्‍होंने आगे पुष्टि की कि भारत द्वारा आधारभूत एआई मॉडल के निर्माण में प्रगति के लिए 5-6 महीने की समयसीमा यथार्थवादी है. उन्होंने कहा, “हम सही रास्ते पर हैं। भारत में वैश्विक स्तर पर प्रतिभाओं का सबसे अधिक संकेन्द्रण है.” एआई कंप्यूट पावर तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने के भारत के प्रयासों पर जोर देते हुए, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई,
वैष्णव ने कहा, “हमने पहले ही 14,000 जीपीयू को सूचीबद्ध कर लिया है, और जल्द ही और भी शामिल होंगे। प्रतिभा और कंप्यूट का यह संयोजन हमारे स्टार्टअप और डेवलपर्स को एक मजबूत बढ़त दे रहा है.” अश्विनी वैष्णव ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की प्रभावशाली वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले दस वर्षों में उत्पादन में पाँच गुना और निर्यात में छह गुना वृद्धि हुई है. उन्होंने इस वृद्धि का श्रेय चरणबद्ध दृष्टिकोण को दिया- तैयार उत्पादों को इकट्ठा करने से लेकर अब घटकों का उत्पादन करने तक- इलेक्ट्रॉनिक घटकों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना जैसी सहायक नीतियों के साथ। उन्होंने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण 25 लाख लोगों को रोजगार दे रहा है, जिनमें से कई ग्रामीण क्षेत्रों से हैं.”
वैष्णव ने अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी के लिए भारत के खुलेपन की भी पुष्टि की. उन्होंने कहा, “कोई भी देश या कंपनी जो भारत में आकर काम करना चाहती है, उसे ऐसा करने की पूरी आज़ादी है। कंपनियाँ आम तौर पर संयुक्त उपक्रमों को ज़्यादा पसंद करती हैं, क्योंकि वे तेज़ गति से सीखने की प्रक्रिया में आगे बढ़ना चाहती हैं.” नई दिल्ली में राइजिंग भारत शिखर सम्मेलन 2025 में बोलते हुए वैष्णव ने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का बचाव किया और इसे पोषित करने में सरकार के प्रयासों की सराहना की. उनहोंने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था में हर चीज के लिए जगह है. कुछ स्टार्टअप बहुत कठिन तकनीकों पर काम कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “सरकार ने देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई है.
देश में 1.5 लाख स्टार्टअप हैं, जबकि कुछ साल पहले इनकी संख्या कुछ सौ थी.”उन्होंने भारत में डीप-टेक स्टार्टअप्स की बढ़ती मौजूदगी पर प्रकाश डाला, खास तौर पर सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में. उन्होंने कहा, “सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में हमारे पास स्टार्टअप्स हैं, आईआईटी मद्रास में 100 से ज़्यादा डीप-टेक स्टार्टअप्स हैं. समस्या-समाधान पर ध्यान केंद्रित करने वाले स्टार्टअप्स की हर क्षेत्र में ज़रूरत है.” भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के भविष्य और प्रभाव को लेकर गरमागरम चर्चा हो रही है, क्योंकि वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और उद्योग जगत के नेता नवाचार को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय विकास में योगदान देने में इसके महत्व पर गहराई से विभाजित हैं.
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