Fruit Export: बीते पांच वर्षों में देश के फल निर्यात में 47.5% की बढ़ोतरी हुई है। केंद्र सरकार ने यह जानकारी राज्यसभा में दी है। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान प्रश्नों का उत्तर देते हुए वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि भारत के मुक्त व्यापार समझौतों से भी संयुक्त अरब अमीरातको फलों के निर्यात में 27 प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया के मामले में छह प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने आगे बताया कि बीते पांच सालों में फलों के निर्यात में 47.5% की वृद्धि हुई है। देश के प्रमुख फलों के निर्यात में आम, अंगूर, केला, सेब, अनानास, अनार और तरबूज शामिल हैं। राज्यसभा में उन्होंने कहा कि मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि सरकार फलों और खाद्य पदार्थों का निर्यात सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
उन्होंने राज्यसभा सदस्यों को आश्वस्त किया कि सरकार सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि हमारे उत्पादों और फलों की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत और कीटनाशक का स्तर बहुत कम हो।वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री ने कीटनाशकों के इस्तेमाल पर कहा कि उत्पादों की गुणवत्ता और न्यूनतम अवशिष्ट सीमा सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत सावधानी बरती जा रही है। इस क्षेत्र में बहुत सारी चुनौतियां हैं। लेकिन, बहुत सुधार हुआ है और आपूर्ति श्रृंखला की कमियों को पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार फलों के निर्यात के लिए नए बाजार तलाश रही है। मुक्त व्यापार समझौते ने यूएई को निर्यात बढ़ाने में मदद की है।
उन्होंने बताया यूएई को फलों के निर्यात में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और ऑस्ट्रेलिया के साथ फलों के निर्यात में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक सवाल के लिखित उत्तर में बताया कि ताजे फलों के व्यापार को समर्थन देने के लिए वाणिज्य विभाग द्वारा राज्य स्तर पर एपीडा के माध्यम से संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से किए गए प्रमुख उपायों में तुड़ाई के बाद की हैंडलिंग सुविधाओं का विकास और फलों की गुणवत्ता और लंबे समय तक फलों की उम्र बनाए रखने के लिए एकीकृत पैक हाउस, रीफर वाहन और इन-हाउस परीक्षण सुविधाओं के रूप में कोल्ड चेन नेटवर्क विकसित करना और विशिष्ट फलों में कीटों के संक्रमण कम करने के लिए वाष्प ताप उपचार (वीएचटी), गर्म जल उपचार जैसी उपचार सुविधाएं शामिल हैं।
वहीं, भारतोये फलों को प्रमोट करने के लिए एशिया फ्रूट लॉजिस्टिका (हांगकांग), मैकफ्रूट इटली आदि फलों के व्यापार के लिए आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लिया जा रहा है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों, एफपीओ की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्यों में बैठकें और प्रमुख व्यापार मेलों के दौरान प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय फलों के प्रचार और ब्रांडिंग के लिए अभियान चलाया जा रहा है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने बताया कि भारत वर्तमान में 85 से अधिक देशों को फलों का निर्यात करता है। एपीडा ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, यूएसए जैसे बाजारों में प्रवेश करने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय पौध संरक्षण संगठन (एनपीपीओ) के साथ मिलकर काम करता है। नए बाजारों में भारत के ताजे फलों के लिए बाजार पहुंच हासिल करने के लिए एनपीपीओ इंडिया और इसकी समकक्ष एजेंसियों के स्तर पर गहन चर्चा चल रही है।
उन्होंने बताया कि बीते तीन सालों में कनाडा में केला; ऑस्ट्रेलिया, यूएसए, सर्बिया और न्यूजीलैंड में अनार के बीज और ऑस्ट्रेलिया में साबुत अनार के निर्यात के लिए बाजार पहुंच बनाई गई है। केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि ताजे फलों के का निर्यात बढ़ाने के उपायों के कारण 2019-20 से 2023-24 की अवधि में भारत के ताजे फलों का निर्यात मूल्य 47 प्रतिशत बढ़कर 986.3 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है। वहीं, मात्रा के आधार पर फलों का निर्यात 69% बढ़कर 7.55 लाख मीट्रिक टन से 12.76 लाख मीट्रिक टन हो गया है।सरकार फलों जैसे खराब होने वाले उत्पादों के लिए समुद्री मार्ग के विशेष प्रोटोकॉल विकसित कर रही है। इससे लंबी दूरी के बाजारों में भी फलों को बेहतर कीमत पर निर्यात किया जा सकेगा। वाणिज्य मंत्रालय, APEDA के माध्यम से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर इन समुद्री प्रोटोकॉल्स को विकसित कर रहा है। अब तक केले और अनार के लिए यह प्रोटोकॉल तैयार हो चुका है, जबकि आम, संतरा और अनानास के लिए यह प्रक्रिया जारी है।