महिला उद्यमियों के लिए बाजार तलाशना चिंता का विषय है. ऐसे में सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) महिला उद्यमियों से सरकारी विभागों के लिए 3000 करोड़ रुपये के सामान और सेवाएं उपलब्ध कराता है. स्टैंड-अप इंडिया और सीजीटीएमएसई के तहत 2 करोड़ रुपये का ऋण दो अन्य योजनाएं हैं जो महिलाओं को आसान वित्तपोषण प्रदान करती हैं. पीएसयू और सरकारी विभागों के लिए उत्पाद और सेवाएं खरीदने वाले जीईएम पोर्टल ने एमएसएमई से 25% खरीद आरक्षित की है. इसमें से 3% महिलाओं द्वारा संचालित एमएसएमई से होगी.
एमएसएमई को जीईएम पोर्टल पर कराना होगा पंजीकरण
इससे महिलाओं के लिए 3000 करोड़ रुपये का अवसर खुल गया है. एफआईएसएमई के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा, “महिला उद्यमियों द्वारा संचालित पंजीकृत एमएसएमई को जीईएम पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा और उनके द्वारा निर्मित वस्तुओं और प्रदान की जाने वाली सेवाओं का विवरण देना होगा. यह केंद्र सरकार द्वारा खरीद के लिए है. कई राज्य सरकारें भी महिला उद्यमियों को इसी तरह की सुविधाएं प्रदान करती हैं.” खरीद के अलावा ऐसी योजनाएं भी हैं जो महिला उद्यमियों को वित्त तक आसान पहुंच प्रदान करती हैं. स्टैं
ड-अप इंडिया योजना के तहत सरकार एससी/एसटी और महिला उद्यमियों को बिना किसी जमानत के 2 करोड़ रुपये तक का लोन देती है. इससे 5 लाख उद्यमियों को लाभ मिलने की उम्मीद है. अगर महिलाओं ने अपना उद्यम एमएसएमई के रूप में पंजीकृत कराया है तो बैंक यह लोन देंगे. नई महिला उद्यमी क्रेडिट गारंटी योजना के तहत सूक्ष्म या लघु उद्यम स्थापित करने के लिए बिना किसी जमानत या तीसरे पक्ष की गारंटी के बैंक से ऋण ले सकती हैं. इस योजना के तहत महिलाओं को 5 लाख रुपये के लोन का 90% तक मिलेगा. अनिल भारद्वाज ने कहा, “पितृसत्तात्मक समाजों में, जहां महिलाओं के पास जमानत के तौर पर गिरवी रखने के लिए संपत्ति नहीं होती है, यह योजना मददगार है.”