हीरा निर्यात को बढ़ावा देने और घरेलू उद्योग को बचाए रखने के लिए सरकार ने लॉन्च की Daimond Imprest ऑथराइजेशन स्कीम

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

भारत में हीरे का व्यापार करने वाले व्यापारियों के लिए एक अच्छी खबर आई है. दरअसल, देश में हीरे के व्यापार को बढ़ावा देने और निर्यात को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने हीरा इम्प्रेस्ट ऑथराइजेशन स्कीम लॉन्च की है. यह स्कीम इसी साल 1 अप्रैल, 2025 से लागू कर दी जाएगी. इस स्कीम का उद्देश्य देश में हीरे के मार्केट को बढ़ाना है. अप्रैल में लागू होने वाली यह योजना इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए बनाई गई है, जो निर्यात में गिरावट और नौकरी के नुकसान जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है.

यह निर्यातकों को लक्षित प्रोत्साहन प्रदान करेगा, साथ ही घरेलू हितों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा. वाणिज्य मंत्रालय ने प्रेस बयान में कहा कि डीआईए (DIA) योजना ¼ कैरेट (25 सेंट) से कम के प्राकृतिक कटे और पॉलिश किए गए हीरों के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देती है, जो निर्यातकों द्वारा कम से कम 10 प्रतिशत के मूल्य संवर्धन की आवश्यकता को पूरा करने पर निर्भर है. मंत्रालय ने बताया कि एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया यह सुनिश्चित करता है कि केवल टू स्टार निर्यात घराने और उससे ऊपर के, जिनका वार्षिक निर्यात राजस्व 1.5 करोड़ डॉलर से अधिक है.

टू स्टार निर्यात निर्यात घराने से तात्पर्य उन व्यवसायों से है जो एक वर्ष में कम से कम 1.5 करोड़ डॉलर मूल्य के सामान का निर्यात करते हैं. मूल्य संवर्धन पर ध्यान केंद्रित करके यह पहल भारत को बोत्सवाना, नामीबिया और अंगोला जैसे हीरा-समृद्ध देशों में देखी जाने वाली वैश्विक लाभकारी प्रथाओं के साथ जोड़ती है, जहां स्थानीय प्रसंस्करण अनिवार्य है. भारत अमेरिका, हांगकांग और यूएई सहित कई देशों को रत्न और आभूषण निर्यात करता है.

हीरा व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी भारत

भारत दुनिया के 90 प्रतिशत हीरों का प्रसंस्करण करता है. हालांकि, इन खनन देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, बढ़ती लागत और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ इस क्षेत्र पर दबाव डालना शुरू हो गया है. डीआईए योजना भारतीय हीरा व्यापारियों को समान अवसर प्रदान करके इन चुनौतियों का समाधान करती है. यह सुनिश्चित करती है कि वे विदेशों में परिचालन स्थानांतरित किए बिना प्रतिस्पर्धी बने रहें.

उद्योग विशेषज्ञों ने इस कदम की सराहना की. रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष विपुल शाह ने कहा, “DIA योजना में इनपुट लागत को कम करके और कटिंग और पॉलिशिंग तकनीकों में नवाचार को प्रोत्साहित करके भारत के हीरा उद्योग को बदलने की क्षमता है.” विपुल शाह ने कहा, “यह एक साहसिक कदम है जो न केवल एमएसएमई निर्यातकों का समर्थन करता है, बल्कि दुनिया को भारत के वैश्विक नेता बने रहने के इरादे के बारे में एक स्पष्ट संकेत भी देता है.” इसके अलावा, इस पहल से कारीगरों से लेकर प्रसंस्करण इकाइयों तक मूल्य श्रृंखला में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे श्रम-प्रधान क्षेत्र में बहुत ज़रूरी राहत मिलेगी.

FY24 में 40 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य

वित्त वर्ष 24 में भारत का रत्न और आभूषण निर्यात तीन साल के निचले स्तर पर आ गया. ऐसा अमेरिका और चीन जैसे प्रमुख बाजारों से मांग में कमी के कारण हुआ. वाणिज्य मंत्रालय के निर्यात पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 24 के दौरान रत्न और आभूषण निर्यात 32.71 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 23 में 37.96 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 22 में 38.94 अरब डॉलर से कम है. सरकार समर्थित निकाय रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद ने यूएई को अधिक बिक्री के आधार पर वित्त वर्ष 24 में 40 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य निर्धारित किया था. भारत कच्चे हीरे का आयात करता है क्योंकि यह इन वस्तुओं का कोई महत्वपूर्ण मात्रा में उत्पादन नहीं करता है. यह रत्नों और आभूषणों का निर्यात करता है, जिससे मूल्यवर्धन होता है.

More Articles Like This

Exit mobile version