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उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के तहत भारत सरकार ने करीब 14,020 करोड़ रुपये वितरित किए हैं. यह योजना 10 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती है, जिनमें बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, IT हार्डवेयर, बल्क ड्रग्स, मेडिकल उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स, टेलीकॉम और नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, व्हाइट गुड्स, ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, तथा ड्रोन और ड्रोन कंपोनेंट्स शामिल हैं. यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने शनिवार को दी.
पीएलआई योजना, जिसे 2021 में लॉन्च किया गया था, का उद्देश्य भारत के विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करना और निर्यात को बढ़ावा देना है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “PLI योजनाओं का भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है. इन योजनाओं ने घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित किया है, जिससे उत्पादन में वृद्धि, रोजगार सृजन और निर्यात में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही, इन योजनाओं ने घरेलू और विदेशी खिलाड़ियों से महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया है.”
योजना के तहत 14 क्षेत्रों में 764 आवेदनों को मंजूरी दी गई है, जिनमें बल्क ड्रग्स, मेडिकल उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स, टेलीकॉम, व्हाइट गुड्स, खाद्य प्रसंस्करण, टेक्सटाइल और ड्रोन जैसे उद्योगों में 176 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम शामिल हैं. नवंबर 2024 तक, लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये (18.7 अरब डॉलर) का वास्तविक निवेश हुआ है, जिससे 14 लाख करोड़ रुपये (162.8 अरब डॉलर) का उत्पादन और बिक्री हुई है. यह आंकड़ा वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित 15.5 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के करीब है.
इस योजना ने 11.5 लाख से अधिक लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा किए हैं. इसके अलावा, स्पेशलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के तहत 27,106 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश में से 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जिससे 9,000 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं. पीएलआई योजना ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र को गति प्रदान की है और देश को वैश्विक निर्यातक के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. सरकार का यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.