GST: वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने एक अधिसूचना जारी करने की योजना बनाई है. इस नोटिफिकेशन के मुताबिक, कॉरपोरेट ग्रुप के द्वारा दी गई अपनी सब्सिडियरी कंपनियों को दी गई गारंटी पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी GST लागू होगा. जीएसटी काउंसिल (GST Council) ने इस महीने की शुरुआत में कॉरपोरेट गारंटी (Corporate Guarantees) पर टैक्सेशन को लेकर स्पष्ट रूप से कहा था कि इस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लागू होगा. इसके बाद टैक्स विशेषज्ञों ने पिछले लेनदेन पर जीएसटी लागू होने को लेकर स्पष्टता मांगी थी.
कॉरपोरेट गारंटी पर लगेगा 18 प्रतिशत GST
वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय जीएसटी (Goods and Services Tax) नियमों में संशोधन को अधिसूचित करते हुए कहा कि कॉरपोरेट गारंटी पर टैक्स अधिसूचना पर दी गई तारीख से लागू होगा. नोटिफिकेश में कहा गया कि मूल कंपनी ने जो गारंटी दी है, उस राशि के 1 प्रतिशत या वास्तविक प्रतिफल में जो भी अधिक हो, उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी (GST) लगाया जाएगा.
वहीं, एएमआरजी एंड एसोसिएट्स (AMRG & Associates) के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि इस बदलाव का 26 अक्टूबर से पहले हुए लेनदेन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
ये भी पढ़े:-1 नवंबर से बदल जाएंगे ये नियम, सीधे पड़ेगा आपके जेब पर असर
इन चीजों पर नहीं पड़ेगा असर
बता दें कि इसका विशेष रुप से पेट्रोलियम, रियल एस्टेट, स्वास्थ्य सेवा, वित्त सेवाएं, सार्वजनिक परिवहन और शिक्षा, जैसे टैक्स छूट का लाभ लेने वाले उद्योगों पर पड़ सकता है. इन उद्योगों को कापोरेट गारंटी पर जीएसटी लगाने के बारे में चिंता नही हो सकती. इससे संभावित रूप से अपरिहार्य और पयार्प्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है.
वकील भी बन सकेंगे जीएसटी ट्रिब्यूनल के सदस्य
वहीं, इस महीने हुई जीएसटी काउंसिल की 52वीं बैठक में अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल का निर्णय क्रमशः अधिकतम 70 और 67 वर्ष की आयु पर हुआ. जीएसटी काउंसिल की बैठक में अहम फैसला ये हुआ है कि अब वकील भी जीएसटी ट्रिब्यूनल (GST Tribunal) के सदस्य बन पाएंगे. जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण में न्यायिक सदस्य के रूप में चयन करने पर विचार करने के लिए वकीलों के पास कम से कम 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए.