इस वर्ष जनवरी में आईफोन के रिकॉर्ड निर्यात की बदौलत चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीने में एप्पल इंक ने 1 लाख करोड़ रुपये एफओबी मूल्य के आईफोन निर्यात का आंकड़ा पार कर लिया है. कारखाने से जिस दाम पर आईफोन की आपूर्ति की जाती है, उसे एफओबी मूल्य कहा जाता है. इसमें शुल्क आदि शामिल नहीं होता है. किसी भी वित्त वर्ष में कंपनी ने पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के आईफोन निर्यात का कीर्तिमान हासिल किया है. वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल से जनवरी के दौरान एप्पल का निर्यात पिछले साल की समान अवधि के 76,000 करोड़ रुपये मूल्य से करीब 31% अधिक रहा.
इतना ही नहीं, कंपनी जनवरी में भी रिकॉर्ड 19,000 करोड़ रुपये मूल्य के आईफोन का निर्यात करने में कामयाब रही. एप्पल के लिए ठेके पर आईफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन (टाटा ने हाल में इसमें बहुलांश हिस्सा खरीदा है) 2021 से ही भारत में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत आईफोन का उत्पादन कर रही हैं. इससे पहले, दिसंबर 2024 में एप्पल ने सबसे ज्यादा 14,000 करोड़ रुपये मूल्य के आईफोन का निर्यात किया था.
पिछले वर्ष अक्टूबर में दुनिया भर में आईफोन 16 पेश किए जाने और भारत में भी उसका उत्पादन करने से आईफोन के निर्यात में जोरदार तेजी आई. अक्टूबर से कंपनी हर महीने 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के आईफोन का निर्यात कर रही है. एप्पल इंक को एक कैलेंडर वर्ष (जनवरी-दिसंबर) में 1 लाख करोड़ रुपये का मूल्य का निर्यात हासिल करने में बारह महीने लगे, मगर चालू वित्त वर्ष में 10 महीने में ही कंपनी निर्यात के इस आंकड़े को पार कर गई. सूत्रों ने कहा, उत्पादन बढ़ाने के साथ ही एप्पल ने घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को भी दुरुस्त किया है, जिससे कंपनी को आईफोन में मूल्यवर्धन में इजाफा करने में मदद मिली. स्थानीय मूल्यवर्धन पर सरकार की नजर रहती है.
2020 में आईफोन में स्थानीय मूल्यवर्धन 5 से 6% के करीब था, जिसका ज्यादातर श्रम और ठेके पर विनिर्माण शुल्क का हिस्सा था. अब आईफोन के ज्यादातर मॉडल में मूल्यवर्धन 15 से 18% हो रहा है और कुछ अन्य मॉडल में यह उससे भी अधिक है. पीएलआई योजना से प्रेरित होकर एप्पल इंक ने चार वर्ष पहले अपनी आपूर्ति श्रृंखला को चीन से भारत स्थानांतरित करना शुरू किया था, जिससे भारत से आईफोन निर्यात बढ़ रहा है. मौजूदा समय में स्मार्टफोन के निर्यात के मामले में भारत शीर्ष 10 देशों में शुमार है. वित्त वर्ष 2015 में भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों में स्मार्टफोन का स्थान 167वां था, जबकि अब यह देश से सर्वाधिक निर्यात होने वाला दूसरा प्रमुख उत्पाद बन गया है.
पहले नंबर पर वाहन ईंधन है. हालांकि, दोनों का फासला काफी कम है. यह 10 वर्षों की छोटी अवधि में किसी भी उत्पाद श्रेणी के लिए अभूतपूर्व वृद्धि है. वर्ष 2017 में सरकार ने चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) की घोषणा की थी, जिसने भारत में स्मार्टफोन के बड़े पैमाने पर आयात को रोकने और घरेलू स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद की. वित्त वर्ष 2019 में देश से निर्यात होने वाले उत्पादों में स्मार्टफोन 23वें स्थान पर था. निर्यात में तेजी से उत्साहित सरकार ने पीएलआई योजना तैयार की, जिसकी घोषणा अप्रैल 2020 में की गई थी. सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 25,000 करोड़ रुपये की एक नई योजना की भी घोषणा की है, जिसे जल्द ही मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की उम्मीद है.