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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारत का कृषि निर्यात नए बाजारों तक पहुंच गया है, पहली बार फलों की खेप पश्चिमी देशों में पहुंची है और चावल के निर्यात में पर्याप्त वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है. शीर्ष व्यापार चैंबर PHDCCI की एक स्टडी के अनुसार, भारत खाद्यान्न की कमी वाले देश से खाद्यान्न अधिशेष वाला देश बन गया है, जिसका निर्यात प्रदर्शन कृषि क्षेत्र में मजबूत वृद्धि के कारण मजबूत रहा है, जो कृषि क्षेत्र के लचीलेपन और वैश्विक कृषि व्यापार परिदृश्य में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है.
शीर्षक वाली रिपोर्ट में वर्ष 2024-25 के लिए देश के खाद्यान्न उत्पादन में 2% की वृद्धि, लगभग 3,357 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है. व्यापार चैंबर के अनुमानों से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि का संकेत मिलता है, जिसमें वित्त वर्ष 2030 तक निर्यात 125 बिलियन डॉलर, वित्त वर्ष 2035 तक 250 बिलियन डॉलर, वित्त वर्ष 2040 तक 450 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2047 तक 700 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा.
PHDCCI की स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र वित्त वर्ष 2030 तक 700 बिलियन डॉलर, वित्त वर्ष 2035 तक 1,100 बिलियन डॉलर, वित्त वर्ष 2040 तक 1,500 बिलियन डॉलर, वित्त वर्ष 2040 तक 1,900 बिलियन डॉलर और 2047 तक 2,150 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्य कृषि प्रदर्शन में बेहतर हैं, लेकिन उनकी कुल आर्थिक वृद्धि मामूली बनी हुई है. यह आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए कृषि सफलता का बेहतर लाभ उठाने के अवसर को उजागर करता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कृषि और अन्य क्षेत्रों के बीच संबंधों को मजबूत कर, ये राज्य विकास के नए रास्ते खोल सकते हैं.
कुल मिलाकर, विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में खाद्यान्न उत्पादन बिजली की उपलब्धता, भंडारण क्षमता और सकल सिंचित क्षेत्र जैसे कारकों से काफी प्रभावित होता है. पीएचडीसीसीआई ने कहा कि स्टडी का उद्देश्य ट्रेंड एनालिसिस, को-रिलेशन और रिग्रेशन की तकनीक का इस्तेमाल कर भारत में कृषि और कृषि को प्रभावित करने वाले कारकों का विश्लेषण करना था.
लेटेस्ट आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि भारत का चावल निर्यात जनवरी 2024 में 0.95 बिलियन डॉलर से जनवरी 2025 में 44.61% बढ़कर 1.37 बिलियन डॉलर हो गया, जो देश के विदेशी व्यापारिक बास्केट में प्रमुख विकास चालकों में से एक के रूप में उभरा है. इसी तरह, सोयाबीन का निर्यात भी महीने के दौरान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है.