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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
जब दुनिया में टैरेस्ट्रियल और सैटेलाइट टेलीकॉम से जुड़ी खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं, तब वास्तविक डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर – समुद्री टेलीकॉम केबल्स– अक्सर अनदेखी रह जाती हैं. ये केबल्स वैश्विक संचार की रीढ़ मानी जाती हैं और 99 प्रतिशत से अधिक इंटरनेट ट्रैफिक को संभालती हैं. महाद्वीपों को आपस में जोड़ते हुए, ये केबल्स न केवल डेटा ट्रांसमिशन का माध्यम हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार, वित्त, सरकारी सेवाओं, डिजिटल हेल्थ और शिक्षा को भी समर्थन देती हैं. वर्तमान में, 500 से अधिक समुद्री केबल सिस्टम दुनिया भर में संचालित हैं, जो उच्च दक्षता के साथ विशाल मात्रा में डेटा का आदान-प्रदान कर रहे हैं. इनका उपयोग व्यापारिक बाजारों को जोड़ने और डिजिटल सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
भारत की भूमिका: एक संभावित वैश्विक हब
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण वैश्विक समुद्री केबल नेटवर्क का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है. भारत से होकर यूरोप, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ा जा सकता है. इस दिशा में दूरसंचार ऑपरेटर और वैश्विक समुद्री केबल कंसोर्टियम भारत में कई नई केबल्स स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. उदाहरण के लिए, पिछले महीने Meta (फेसबुक की पैरेंट कंपनी) ने घोषणा की कि भारत उसके 50,000 किलोमीटर लंबे “Project Waterworth” का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा.
यह परियोजना अमेरिका, भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और अन्य प्रमुख क्षेत्रों को आपस में जोड़ेगी. तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था और डेटा की मांग को देखते हुए, भारत को समुद्री केबल इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इससे देश की इंटरनेट कनेक्टिविटी मजबूत होगी, वैश्विक व्यापार अवसर बढ़ेंगे और भारत एक महत्वपूर्ण डिजिटल ट्रांजिट हब के रूप में उभर सकता है.