India Economic Growth: देश के मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर को साइबर क्षमता से सशक्त बनाने पर जोर

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत की अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने की यात्रा में निर्माण क्षेत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. सरकार का ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ अभियान इस क्षेत्र के विकास में सहायक साबित हो रहा है. अब मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर डिजिटल परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है और यह परिवर्तन विशेष रूप से इंडस्ट्री 4.0 के साथ हो रहा है. इस दृष्टिकोण में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स और डेटा विश्लेषण जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, ताकि मशीनीकृत प्रणालियाँ अधिक कुशल, स्वचालित और इंटेलिजेंट बन सकें. इस डिजिटल परिवर्तन के साथ, सुरक्षा के मुद्दे और अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं.

जैसा कि आईडीसी रैंसमवेयर अध्ययन में पाया गया, 2022 में 76% निर्माण क्षेत्र की कंपनियों पर रैंसमवेयर हमला हुआ था, जो इस क्षेत्र को साइबर हमलों के लिए अत्यधिक संवेदनशील बनाता है. साइबर हमलों से उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएँ आ सकती हैं, जो आर्थिक नुकसान और कंपनी की प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकती हैं. इसके अलावा, संवेदनशील डेटा जैसे उत्पाद डिज़ाइन और ग्राहक जानकारी की चोरी से कानूनी और नियामक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं.

साइबर क्षमता का महत्व

भारत में साइबर सुरक्षा के मामले में कई कंपनियों में दीर्घकालिक निवेश की कमी है, जबकि साइबर हमले अपरिहार्य हैं. इसलिए, कंपनियों को साइबर हमलों से निपटने के लिए एक मजबूत प्रतिक्रिया योजना की आवश्यकता है.

1. इंसीडेंट रिस्पॉन्स प्लान (IRP) बनाना

एक प्रभावी इंसीडेंट रिस्पॉन्स प्लान (IRP) का होना अत्यंत आवश्यक है. यह योजना विभिन्न प्रकार के साइबर हमलों के लिए प्रक्रियाओं को परिभाषित करती है, जैसे डेटा लीक, रैंसमवेयर हमले, और अधिक. एक अच्छे IRP से कंपनियाँ साइबर हमलों से त्वरित और प्रभावी तरीके से निपट सकती हैं.

2. डेटा की सुरक्षा: DLP टूल्स

डेटा के उल्लंघन को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों को लागू करना जैसे कि डेटा लॉस प्रिवेंशन (DLP) टूल्स. इसके साथ ही, व्यक्तिगत और बौद्धिक संपत्ति डेटा का नियमित मूल्यांकन करके संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित किया जा सकता है.

3. साइबर रिकवरी सॉल्‍यूशन

एक प्रभावी साइबर रिकवरी सॉल्‍यूशन और विस्तृत रिकवरी रनबुक होना आवश्यक है. यह टीम को हमले के बाद त्वरित सुधार सुनिश्चित करने के लिए एक मार्गदर्शिका प्रदान करता है. कई बार साइबर हमलों से निपटने के लिए कौशल और विशेषज्ञता को नजरअंदाज किया जाता है. ‘काइंड्रिल रेडीनेस रिपोर्ट 2024’ के मुताबिक,भारत में केवल 25 प्रतिशत व्यापारिक नेता ही अपनी टीम को साइबर सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं, जो अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है. भारत के छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना बेहद जरूरी है ताकि वे साइबर हमलों को पहचानने और उन पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो सकें. विशेष रूप से क्षेत्रीय भाषाओं में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना, स्थानीय कार्यबल को साइबर सुरक्षा में सशक्त बना सकता है.

भारत के निर्माण क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है, और ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि सरकार, तकनीकी विशेषज्ञ और उद्योग मिलकर साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम करें. सार्वजनिक-निजी भागीदारी और महत्वपूर्ण तकनीकी अपनाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने से भारत के निर्माण क्षेत्र को साइबर सुरक्षा में सुधार किया जा सकता है. इन रणनीतियों को अपनाकर हम भारत के निर्माण क्षेत्र को साइबर हमलों से बचा सकते हैं और उसे अधिक सुरक्षित और सक्षम बना सकते हैं. यह न केवल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है, बल्कि 2047 तक सतत विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सफलता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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