India Education Inflation: इसमें कोई संदेह नहीं कि शिक्षा जीवन की दिशा बदल सकती है. शिक्षा जीवन का वह प्रकाश है जो हमारे अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर करती है. शायद यही वजह है कि भारत में लोग शिक्षा में अच्छा निवेश करने से नहीं कतराते. अब एक रिपोर्ट में पता चला है कि भारत में पढ़ाई-लिखाई करने की महंगाई यानी उस पर होने वाला खर्च खाने-पीने की चीजों से अधिक हो गया है. ऐसे में भविष्य में क्या हालात रहने वाले हैं, आइए इसके बारे में जानें…
एजुकेशन इंफ्लेशन में वृद्धि
भारत में खुदरा महंगाई दर को 4 फीसदी पर बनाए रखने का टारगेट सेट है. जुलाई के महीने में ये 4 प्रतिशत के दायरे में भी आई है. अगर ओवरऑल महंगाई में से भी फूड इंफ्लेशन यानी खाने-पीने की चीजों के दाम की बात की जाए तो, जुलाई में ये 6 फीसदी से नीचे आई है. लेकिन इस मामले में एजुकेशन के हालात अलग ही हैं. देश में एजुकेशन इंफ्लेशन यानी पढ़ाई में 11 से 12 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है.
7 साल में पढ़ाई का दोगुना खर्च
जिस गति से देश में शिक्षा मुद्रास्फीति बढ़ रही है, उसके हिसाब से हर 6 से 7 साल में पढ़ाई का खर्च करीब दोगुना हो जा रहा है. आम लोगों के लिए ये बोझ उठाना आसान नहीं है. इसलिए उन्हें एजुकेशन लोन लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है. इसे लेकर क्रिसिल रेटिंग की ओर से एक नई रिपोर्ट पेश की गई है. सिल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीयों में विदेशों से हायर एजुकेशन लेने का रूझान बढ़ रहा है. इससे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों यानी NBFC के लिए आने वाले समय में एजुकेशन लोन तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर में बना रहेगा.
वित्त वर्ष 2024-25 में एनबीएफसी के एजुकेशन लोन का AUM 40 से 45 फीसदी बढ़ गया है. इसके तकरीबन 60000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है. आरबीआई की जुलाई 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में बांटे गए एजुकेशन लोन की बकाया राशि 1.23 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है. ये पिछले साल के मुकाबले 19 प्रतिशत अधिक है.
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