India Vs China: भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद है. दोनों देश दुनिया की सबसे लंबी विवादित सीमा साझा करते हैं. दोनों के बीच जंग भी हो चुकी है और अक्सर झड़पें भी होती रहती हैं. वहीं भारतीय परिवेश में चीन के दखल को कम करने के लिए भारत कई अहम कदम उठाए हैं. साल 2020 में गलवान घाटी की घटना के बाद से दोनों देशों के बीच सीमा तनाव लगातार बना हुआ है. अब भारत ऐसा कदम उठाने जा रहा है, जो चीन की ‘निगरानी’ पर प्रतिबंध लगा देगा.
चीनी कंपनियों को भारी नुकसान
चीन को नुकसान पहुंचाने के लिए भारत ने कई चीनी ऐप्स को बैन करने से लेकर चीनी कर्मचारियों के वीजा रोकने और चीनी कंपनियों के भारत में इन्वेस्ट करने से रोकने तक के कई अहम कदम उठाए हैं. अब भारत चीन के खिलाफ ऐसा कुछ करने जा रहा है जो चीन के निगरानी के धंधे को भारत में प्रतिबंध कर देगा. भारत सरकार जल्द से जल्द अपने एक आदेश को अमल में लाने पर विचार कर रही है, जो भारत के सर्विलांस मार्केट से चीन की एंट्री को रोक देगा. इससे चीनी कंपनियों को जहां भारी नुकसान होगा, वहीं सर्विलांस प्रोडक्ट बनाने वाली भारतीय कंपनियों को लाभ मिलेगा.
प्रभावित होगा सीसीटीवी का कारोबार
बता दें कि भारत सरकार जो आदेश जारी करने जा रही है, भारतीय बाजार में चाइनीज सीसीटीवी की एंट्री को तत्काल प्रभाव से बंद कर देगा. सर्विलांस प्रोडक्ट्स की आपूर्ति श्रृंखला से चीनी वेंडर बाहर हो जाएंगे. इतना ही नहीं ईटी की एक खबर के अनुसार, सरकार का आदेश देश में सीसीटीवी के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले उन कंपोनेंट की एंट्री को भी रोक देगा, जो चाइनीज वेंडर्स द्वारा सप्लाई किए जाएंगे.
सरकार द्वारा इस आदेश का गजट नोटिफिकेशन पहले ही निकाल दिया गया था, लेकिन अब उसका फोकस इसके तेजी से इंप्लीमेंटेशन से है. इस आदेश के पूरी तरह से लागू होने के बाद भारतीय सीसीटीवी कंपनियों को केवल ‘ट्रस्टेड लोकेशंस’ से ही कंपोनेंट आयात करने की परमिशन होगी. इसके अलावा ‘मेक इन इंडिया’ प्रोडक्ट और कंपोनेंट को बढ़ावा दिया जाएगा.
इजराइल-हिजबुल्लाह जंग से कनेक्शन
हाल में लेबनान में एक साथ हजारों लोकेशन पर ‘पेजर ब्लास्ट हुआ था. जब इस पूरे मामले की जांच-पड़ताल की गई, तो शुरुआती जांच में पता चला कि हिजबुल्लाह से अपनी दुश्मनी के चलते इजराइल ने इन पेजर के निर्माण की प्रक्रिया के दौरान ही उनमें विस्फोटक छिपा दिए थे. ये विस्फोटक पेजर को भेजे गए एक कोड के जरिए एक्टिवेट हो गए. इस घटना के बाद से ही भारत सरकार अपने ‘लोकलाइजेशन’ के आदेश को तेजी से अमल में लाने पर काम करने में लग गई है.
किसी भी तरह की ‘बैकडोर एंट्री’ पर प्रतिबंध
भारत सरकार द्वारा जिन ट्रस्टेड लोकेशन की बात की जा रही है, वहां मैन्यूफैक्चरिंग की पूरी प्रक्रिया पर भारत सरकार की पहुंच होगी. वहीं किसी भी तरह की ‘बैकडोर एंट्री’ पर प्रतिबंध होगा. भारत की प्रमुख कंपनी सीपी प्लस, हाइकविजन और दहुआ को अपने प्रोडक्ट्स के लोकलाइजेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया है. फिलहाल इन तीनों कंपनियों के पास भारत के सर्विलांस मार्केट का करीब 60 फीसदी हिस्सा है.
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