भारतीय फूड सर्विसेस बाजार 2024 में 80 बिलियन डॉलर के मूल्य के साथ, 2030 तक 144-152 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है. यह वृद्धि 10-11 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से होगी. रेडसीयर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स के अनुसार, यह क्षेत्र मल्टी-ब्रांड कंपनियों और क्लाउड किचन के बढ़ते प्रभाव से विकास के नए अवसरों का सामना कर रहा है. क्लाउड किचन मॉडल, जो पारंपरिक डाइन-इन मॉडल से काफी अलग है,
तेजी से वृद्धि कर रहे हैं क्योंकि वे कम निवेश और समय में नए ब्रांड स्थापित करने में सक्षम हैं.क्लाउड किचन, जो साझा किचन स्पेस का उपयोग करते हैं, व्यवसायों को तेज़ी से स्केल करने का मौका देते हैं. ये कम पूंजी और ओवरहेड खर्चों के साथ उच्च लाभांश प्राप्त करते हैं और अपने कई ब्रांडों के लिए गुणवत्ता और आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाते हैं. पारंपरिक डाइन-इन सेटअप के मुकाबले ये मॉडल दो से तीन गुना तेजी से बढ़ सकते हैं.
हालांकि, बाजार में विविधता और नई खाद्य सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण पारंपरिक मॉडल चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन मल्टी-ब्रांड कंपनियों के लिए नए अवसर उपलब्ध हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश कंपनियाँ एकल ब्रांड से मल्टी-ब्रांड मॉडल की ओर बढ़ रही हैं ताकि जोखिम कम किया जा सके और बाजार में तेजी से विस्तार किया जा सके.