भारतीय रेलवे ने पर्यावरणीय स्थिरता में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिसमें पिछले एक दशक में 640 करोड़ लीटर डीजल की बचत की है, जिससे 400 करोड़ किलोग्राम से अधिक CO2 उत्सर्जन में कमी आई है. इस सफलता के साथ, रेलवे ने 2030 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य पूरा करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है. रेल मंत्रालय के मुताबिक, इस कमी का समकक्ष देशभर में 16 करोड़ पौधे लगाने के बराबर माना जा सकता है.
एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय रेलवे की स्थिरता के प्रति समर्पण को दर्शाती है, जो अब देश के सबसे पर्यावरणीय अनुकूल और ऊर्जा-प्रभावी परिवहन साधन के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है. पिछले 10 वर्षों में भारतीय रेलवे ने अपनी इलेक्ट्रिफिकेशन योजना में काफी विस्तार किया है. अब रेलवे के 45,922 किलोमीटर के रेल मार्ग इलेक्ट्रिक हो चुके हैं, जबकि 2004 और 2014 के बीच यह सिर्फ 5,188 किलोमीटर था. इस विस्तार से डीजल बचत और उत्सर्जन में कमी आई है, जिससे रेलवे परिवहन को और अधिक टिकाऊ बनाया गया है.
भारतीय रेलवे ने जल संचयन प्रणाली को भी बढ़ावा दिया है. मार्च 2024 तक 7,692 RWH सिस्टम्स स्थापित किए जा चुके हैं, और रेलवे नवीकरणीय ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों से ऊर्जा प्राप्त करने की योजना बना रहा है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे नेटवर्क को 2030 तक नेट-जीरो उत्सर्जन परिवहन प्रणाली में बदलने का मिशन तय किया है. इसके तहत भारतीय रेलवे ने लगभग 494 मेगावाट सौर ऊर्जा और 103 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन शुरू किया है. इसके अतिरिक्त, रेलवे ने ऊर्जा बचत उपायों जैसे EOG ट्रेनों को HOG ट्रेनों में बदलने की प्रक्रिया शुरू की है, जिससे स्टेशन और ट्रेन के भीतर ध्वनि और वायु प्रदूषण में कमी आई है और डीजल खपत में भी कमी आई है.