1986 में बायोटेक्नोलॉजी विभाग की स्थापना के बाद भारत ने बायोटेक्नोलॉजी का सफलतापूर्वक उपयोग किया है, खासकर वैक्सीनेशन के क्षेत्र में और फार्मास्युटिकल सेक्टर के विकास में. हालांकि, यह क्षेत्र भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की गति से कभी मेल नहीं खा सका.
हाल ही में बायो-ई3 नीति और बायो-राइड योजना के लॉन्च के साथ, भारत ने वैश्विक बायोइकोनॉमी के क्षेत्र में अपने को अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है. बायोटेक इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल द्वारा जारी की गई एक नई रिपोर्ट इस क्षेत्र में विकास के सकारात्मक संकेत दिखाती है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान, और निवेश के मामले में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपना स्थान पक्का करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है.
भारत का बायोटेक क्षेत्र अब न केवल स्वास्थ्य और फार्मास्युटिकल, बल्कि कृषि और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में भी तेजी से प्रगति कर रहा है और इसके आगामी वर्षों में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है.