शैलेश कुमार अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक, भवन सामग्री और प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद, जो कि आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के तहत है, ने कहा कि भारत का निर्माण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और 2047 तक इसका आकार $1.4 ट्रिलियन तक पहुंचने की संभावना है. इस विकास को प्राप्त करने के लिए हमें नए विचारों को अपनाने, नवाचार करने और उत्पादक बनने की आवश्यकता है. साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि यह विकास टिकाऊ हो और संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए. शैलेश कुमार अग्रवाल ने यह बातें FICCI और ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित एशिया लो-कार्बन बिल्डिंग ट्रांजिशन परियोजना के तहत प्रशिक्षकों के लिए ओरिएंटेशन और प्रमाणन कार्यक्रम में कही.
यह परियोजना जर्मनी सरकार के अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल के समर्थन से भारत सहित पांच एशियाई देशों में लागू की जा रही है. अग्रवाल ने यह भी बताया कि भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में, भवन निर्माण क्षेत्र में परिचालन ऊर्जा को कम करने की आवश्यकता है. इसके अलावा, निर्माण में लो-कार्बन बिल्डिंग सामग्री का उपयोग करना भी आवश्यक है, ताकि पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके. यह पहल भारत के निर्माण क्षेत्र को अधिक पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और ऊर्जा-कुशल बनाने में मदद करेगी और इस क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास में सहायक होगी.