2025 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही हो, लेकिन भारत 2025 में 6.5 प्रतिशत की दर से विकास करेगा और एक बार फिर दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा. यह विकास दर भले ही 2024 के अनुमानित 6.9 प्रतिशत से थोड़ी कम है, लेकिन फिर भी यह भारत की आर्थिक मजबूती को दर्शाता है. UNCTAD द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ‘Trade and Development Foresights 2025 – Under pressure: Uncertainty reshapes global economic prospects’ में यह जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक विकास दर 2025 में गिरकर 2.3 प्रतिशत तक पहुंच सकती है, जो पूरी दुनिया को मंदी के रास्ते पर ले जा सकती है.
UNCTAD का कहना है कि भारत में सरकारी खर्च में मजबूती और मौद्रिक नीति में ढील की वजह से यह विकास संभव हो पाएगा. इस साल फरवरी में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पिछले पाँच सालों में पहली बार ब्याज दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी, जिससे घरेलू खपत को बढ़ावा मिलेगा और निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा. रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशियाई क्षेत्र 2025 में 5.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। यहां भी महंगाई में गिरावट आने से अधिकांश देशों को मौद्रिक नीति में ढील देने का अवसर मिलेगा. हालांकि, खाद्य मूल्य अस्थिरता और जटिल कर्ज की स्थिति बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी अर्थव्यवस्थाओं के लिए चुनौती बनी रहेगी.
UNCTAD ने बताया कि बढ़ते व्यापारिक तनाव, वित्तीय अस्थिरता और अनिश्चितता की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं. UNCTAD ने बताया कि बढ़ते व्यापारिक तनाव, वित्तीय अस्थिरता और अनिश्चितता की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि टैरिफ (शुल्क) से संबंधित नीतियों में बदलाव आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर रहे हैं और इससे निवेश के फैसले टल रहे हैं तथा नौकरियों में कटौती हो रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि टैरिफ (शुल्क) से संबंधित नीतियों में बदलाव आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर रहे हैं और इससे निवेश के फैसले टल रहे हैं तथा नौकरियों में कटौती हो रही है.
रिपोर्ट ने विशेष रूप से कम आय वाले देशों के लिए चिंता जाहिर की है, जो “परफेक्ट स्टॉर्म” जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं – जिसमें बाहरी वित्तीय दबाव, असहनीय कर्ज, और धीमी घरेलू वृद्धि शामिल है. UNCTAD ने कहा है कि दक्षिण-दक्षिण व्यापार में वृद्धि विकासशील देशों के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है, क्योंकि यह वैश्विक व्यापार का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बन चुका है. रिपोर्ट में ज़ोर दिया गया है कि नीतिगत समन्वय, संवाद और सहयोग की सख्त ज़रूरत है, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर किया जा सके और विकास की गति को बनाए रखा जा सके.
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