भारत के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में अप्रैल-फरवरी वित्त वर्ष 2025 के दौरान सालाना आधार पर 13 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे यह आंकड़ा 22.67 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. इस वृद्धि का मुख्य कारण चावल के निर्यात में 21 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी रही, जो कि कुल 11 बिलियन डॉलर के पार पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 9.32 बिलियन डॉलर था.
सरकार ने सितंबर 2024 में संभावित रिकॉर्ड उत्पादन और बढ़े हुए स्टॉक को देखते हुए चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की थी. अब तक सभी निर्यात प्रतिबंध हटा दिए गए हैं, जिसमें न्यूनतम निर्यात मूल्य भी शामिल है. निर्यातकों का मानना है कि FY25 में चावल के निर्यात में 15 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है और यह रिकॉर्ड 12 बिलियन डॉलर को पार कर सकता है, क्योंकि वैश्विक मांग मजबूत बनी हुई है.
पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का चावल निर्यात 10.41 बिलियन डॉलर था, जो प्रतिबंधों के कारण 6.5 प्रतिशत कम हुआ था. व्यापार सूत्रों का कहना है कि भारत की वैश्विक चावल बाजार में प्रमुख स्थिति फिर से बहाल हो रही है, खासकर अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में निर्यात बढ़ने के कारण. भारत पिछले एक दशक से विश्व में सबसे बड़ा चावल निर्यातक बना हुआ है. FY25 में भारत का लक्ष्य 5 मिलियन टन प्रीमियम बासमती चावल निर्यात करने का है, जो पाकिस्तान से कहीं आगे है. पाकिस्तान प्रतिवर्ष केवल 1 मिलियन टन बासमती निर्यात कर पाता है.
पंजाब की प्रमुख बासमती निर्यातक कंपनी जोसन ग्रेन्स के एमडी, रंजीत सिंह जोसन ने कहा कि ईरान को निर्यात किए गए चावल की भुगतान प्रक्रिया में कुछ समस्याएं हैं, लेकिन इसके बावजूद वैश्विक स्तर पर बासमती चावल की मांग लगातार बनी हुई है. अप्रैल-फरवरी FY25 के दौरान भैंस के मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात 12 प्रतिशत बढ़कर 4.61 बिलियन डॉलर पहुंच गया, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि में यह 4.11 बिलियन डॉलर था.
वहीं, ताजे फल और सब्जियों के निर्यात में 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे यह 3.39 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. अनाज से बने उत्पादों का निर्यात भी 9 प्रतिशत बढ़कर 2.82 बिलियन डॉलर हो गया. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने FY25 के लिए 26.56 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य की घोषणा की है.
कुल कृषि उत्पाद निर्यात में APEDA के तहत आने वाले उत्पादों की हिस्सेदारी लगभग 51 प्रतिशत है, जबकि शेष निर्यात में समुद्री उत्पाद, तंबाकू, कॉफी और चाय शामिल हैं. भारत का कृषि निर्यात लगातार मजबूत हो रहा है, और सरकार के नीतिगत सुधारों से यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रहने की उम्मीद है.