भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा साझा किए गए ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज हुई है. आरबीआई के मुताबिक, 29 नवंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.51 अरब डॉलर बढ़कर 658.09 अरब डॉलर हो गया. इससे पिछले हफ्ते 22 नवंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 656.58 अरब डॉलर था. आरबीआई द्वारा जारी साप्ताहिक सांख्यिकी डेटा से पता चलता है कि यह वृद्धि मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में बढ़ोतरी के कारण दर्ज हुई,
जो 2.06 अरब डॉलर बढ़कर 568.85 अरब डॉलर हो गया है. इस बीच, देश के गोल्ड रिजर्व में 595 मिलियन डॉलर की गिरावट आई, इससे कुल भंडार 66.97 अरब डॉलर पर आ गया. स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) में 22 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जो अब कुल 18.00 अरबडॉलर है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में आरक्षित स्थिति भी 22 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.25 अरब डॉलर पर पहुंच गई है.
भारत विदेशी मुद्रा भंडार में चौथे स्थान पर
भारत विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में दुनिया के चौथे देश के रूप में जाना जाता है, जो सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार रखता है. इस लिस्ट में पहले पायदान पर चीन 3,571 अरब डॉलर के साथ अपनी जगह बनाता है. इसके बाद 1,238 अरब डॉलर के साथ दूसरे नंबर पर जापान और 952 अरब डॉलर के साथ तीसरे नंबर पर स्विट्जरलैंड का नाम आता है.
इससे पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर के अंत में 704.885 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था, जो कि अर्थव्यवस्था की मजबूत आर्थिक स्थिति का संकेत दे रहा था. केंद्रीय बैंक रुपये में अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करता है. जब भी विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर पैसा बाहर निकाला जाता है तो डॉलर की मांग बढ़ती है, इससे रुपये के मूल्य पर दबाव बढ़ता है. ठीक ऐसी स्थिति में केंद्रीय बैंक डॉलर की आपूर्ति बढ़ाकर रुपये में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करता है.