बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जीडीपी 2024-25 की अक्टूबर-दिसंबर अवधि में 6.6% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो 2023-24 की इसी तिमाही के 8.6% आंकड़े से धीमी है. हालांकि, जीडीपी कृषि, सरकारी खर्च और सेवाओं के समर्थन से मजबूत बनी हुई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि आर्थिक स्थिरता का एक प्रमुख चालक सरकार के पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में वृद्धि है, जबकि वित्तीय क्षेत्र और ग्रामीण मांग में लचीलापन बना हुआ है.
इसमें कहा गया है कि सरकार का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 47.7% हो गया है. (वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही के 24.4% से ऊपर) जिसके कारण राजमार्गों, बंदरगाहों और रेलवे जैसे क्षेत्रों में निर्माण गतिविधि में वृद्धि हुई है. इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में अधिक नौकरियां और आय पैदा हो रही हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय क्षेत्र उच्च ऋण और जमा वृद्धि के साथ सकारात्मक बना हुआ है, जबकि ग्रामीण मांग में सुधार हो रहा है, जो ट्रैक्टर और दोपहिया वाहनों की बढ़ती बिक्री से प्रदर्शित होता है.
तीसरी तिमाही के दौरान कृषि विकास दर बढ़कर 4.5% होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में 0.4% थी. रिपोर्ट के अनुसार, यह सुधार बेहतर खाद्यान्न उत्पादन और मजबूत रबी रकबे के कारण है. रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए सेवा क्षेत्र में समग्र वृद्धि 6.9% रहने का अनुमान लगाया गया है, जो कि वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में 7.1% से थोड़ा ही कम है. व्यापार और आतिथ्य क्षेत्र में 6.9% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसे अनुभव अर्थव्यवस्था का समर्थन प्राप्त है, जबकि वित्तीय क्षेत्र में 6.5% की वृद्धि होने की उम्मीद है.रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मैन्युफैक्चरिंग और औद्योगिक विकास में नरमी आ रही है,
जिसका कारण उच्च आधार प्रभाव है. इसमें औद्योगिक विकास में नरमी आने की उम्मीद है, जो कि वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में 10.2% से कम होकर 5.9% हो जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर पिछले वर्ष की समान अवधि के 11.5% से धीमी होकर 6% रहने की उम्मीद है, जो कि उच्च आधार प्रभाव और कम कॉर्पोरेट आय (विशेष रूप से कच्चे तेल, इस्पात और ऑटो क्षेत्रों में) से प्रभावित है.
खनन क्षेत्र की वृद्धि दर भी एक साल पहले की अवधि के 7.5% से घटकर 3% रहने की उम्मीद है. रिपोर्ट में भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता से होने वाले नकारात्मक जोखिम पर भी प्रकाश डाला गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, लेकिन वैश्विक चुनौतियों से प्रभावित है, जिसमें मुद्रा और बाहरी क्षेत्र पर दबाव है.