भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4% रहने का अनुमान है. यह पिछले वित्त वर्ष में 8.2% थी. यह जानकारी सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमान में दी गई. यह अनुमान दिसंबर की मौद्रिक नीति में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि अनुमान 6.6% से काफी कम है. हालांकि, चीन की विकास दर 5 प्रतिशत से कम होने के कारण भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना रहेगा. आंकड़ों में बताया गया कि कृषि, कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर ब्राइट स्पॉट के रूप में उबरे हैं.
कृषि और उससे जुड़े हुए सेक्टरों की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
इस सेक्टरों में पिछले वित्त वर्ष में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. कंस्ट्रक्शन और फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विस सेक्टर में वृद्धि दर क्रमशः 8.6 प्रतिशत और 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है. आधिकारिक बयान के मुताबिक, निजी अंतिम उपभोग व्यय में भी वृद्धि हुई है, जिसमें पिछले वर्ष की 4% की वृद्धि दर की तुलना में इस वित्त वर्ष के दौरान 7.3% की वृद्धि दर देखी गई है. ये आंकड़े आम बजट 2025 से पहले जारी किए गए हैं,
जो बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निरंतर निवेश के साथ विकास को बढ़ावा देने और कृषि क्षेत्र में गति बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए 5.4% की जीडीपी वृद्धि दर दर्ज की थी, जो पिछली तिमाही की तुलना में काफी कम थी. दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होने के कारण ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर के अपने अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया था.
–आईएएनएस