भारत के फार्मा सेक्टर ने निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है. सरकारी आंकड़ों से मालूम चला है कि वित्त वर्ष 2025 से पहले ही 99 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है. भारत के ड्रग फॉर्मूलेशन व्यवसाय और सर्जिकल व्यवसाय ने घरेलू दवा कंपनियों के लिए बूस्टर डोज की भूमिका निभाई है. एक वरिष्ठ फार्मा अधिकारी ने कहा, “पिछले साल अक्टूबर तक 99% लक्ष्य हासिल कर लिया गया था. इस गति से हम लक्ष्य को पार कर सकते हैं.”
वाणिज्यिक खुफिया एवं सांख्यिकी महानिदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक, औषधि निर्माण और जैविक उत्पाद मुख्य आधार हैं, जो भारत के औषधि निर्यात का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं. ये कुल निर्यात का 75 प्रतिशत है और इसमें 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. थोक दवाओं के मामले में मात्रा में वृद्धि हुई है, लेकिन मूल्य में गिरावट आई है. एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा, “यह चीन द्वारा एपीआई और इंटरमीडिएट्स की कीमतों में गिरावट के कारण है.”
कोरोना महामारी के खत्म होने के साथ वैक्सीन की मांग में कमी
कोरोना महामारी के खत्म होने के साथ वैक्सीन की मांग में भी कमी देखी गई है. वैक्सीन की मांग में 9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. एक विशेषज्ञ ने कहा कि आयुष और हर्बल उत्पादों में 13 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, क्योंकि ज्यादातर भारतीय कम्पनियां अच्छे विनिर्माण अभ्यासों से योग्य हैं. आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका को निर्यात में काफी वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, “उत्तरी अमेरिका ने पहले ही 6.2 अरब डॉलर का कारोबार कर लिया है.
इस दर से, इस साल मार्च तक यह 10 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.” उन्होंने यह भी कहा कि बैक ऑर्डर और दवाओं की कमी के बावजूद यह एक बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण वृद्धि है. “अगर ये मुद्दे नहीं होते, तो यह अब दर्ज किए गए 17 प्रतिशत के बजाय 25 प्रतिशत बढ़ गया होता. आंकड़ों से पता चलता है कि यूरोप में विकास स्थिर रहा है. फार्मा एग्जीक्यूटिव ने कहा, “मुख्य रूप से नीदरलैंड और बेल्जियम के कारण. यू.के. में निर्यात में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मंदी के बावजूद जर्मनी में पिछले साल की तुलना में 6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.”
यूरोप में बढ़ रही है कारोबार की संभावना
उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. पिछले साल 5.5 अरब डॉलर से बढ़कर यूरोप में 3.2 अरब डॉलर हो चुका है. इन दो प्रमुख बाजारों में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है, जिससे यूरोप में कारोबार की संभावना बढ़ रही है, जो पिछले साल के 5.5 अरब डॉलर के मौजूदा स्तर से बढ़कर इस साल अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक हो सकती है. जहां तक अफ्रीकी बाजार का सवाल है, पिछले साल इसने 4 अरब डॉलर का निर्यात किया.
हालांकि इसमें 3 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक स्थिरता आने के साथ ही उन्हें फिर से समान अवसर मिलने की उम्मीद है और आगे चलकर यह 10 अरब डॉलर को पार कर सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि रूस गेमचेंजर साबित हो सकता है. उन्होंने कहा, “युद्ध के कारण रूस में बहुत कमी है. इसमें 15 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है क्योंकि कोई भी रूस को माल ले जाने को तैयार नहीं है. रूस में बहुत संभावनाएं हैं.”