भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है और दुनिया अब भारत को लेकर बेहद आशावादी नजरिए से देख रही है, यह बयान दिया है देश के शीर्ष अर्थशास्त्री और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम ने दी. सुब्रमण्यम ने कहा, भारत के सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे और समावेशी वृद्धि के बारे में न सिर्फ चर्चा हो रही है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इसकी सराहना भी रह रहा है.
सुब्रमण्यम ने आगे कहा, ”मुझे लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कुल मिलाकर बहुत अच्छी तरह से बढ़ रही है. कोविड के बाद वृद्धि दर लगातार 7% रही है. बेशक, इस तिमाही में थोड़ी गिरावट आई है. आंशिक रूप से यह पूंजीगत व्यय में मंदी के कारण है. साथ ही, निर्यात पर भी कुछ प्रभाव पड़ा है. लेकिन, मुझे लगता है कि यह गिरावट अस्थायी होगी.” भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम ने हाल में एक किताब ‘इंडिया@100’ लिखी है.
सुब्रमण्यम ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ”आईएमएफ बोर्ड में बैठने के बाद से मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि दुनिया भारत को लेकर आशावादी है. भारत ने जिस तरह का सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाया है, उसका जिक्र मेरे बोर्ड के लगभग हर साथी अक्सर करते हैं। वे इसकी ईमानदारी से सराहना करते हैं.” सुब्रमण्यम ने आगे कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने जिस तरह की समावेशी वृद्धि की है, उसकी भी सराहना की जानी चाहिए.
सुब्रमण्यन ने एक सवाल के जवाब में कहा, कोविड के दौरान भारत ने ऐसी आर्थिक नीति लागू करने का विकल्प चुना, जो बाकी दुनिया से अलग थी. उन्होंने कहा, बाकी दुनिया ने कोविड को पूरी तरह से मांग-पक्ष के झटके के रूप में पहचाना, जबकि भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था थी जिसने कोविड को मांग-पक्ष और आपूर्ति-पक्ष दोनों के झटके के रूप में पहचाना. सुब्रमण्यन ने कहा, इसके चलते जब यूरोप में युद्ध शुरू हुआ और आपूर्ति पक्ष की समस्याएं पैदा हुईं, तो इसका भारत पर उतना प्रभाव नहीं पड़ा.
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