PPF Loan: पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ (Public Provident Fund-PPF) एक सरकारी स्कीम है. देश का कोई भी नागरिक इस योजना में इंवेस्ट कर सकता है. इसमें कंपाउंडिंग ब्याज का फायदा मिलता है, इसके साथ ही टैक्स बेनिफिट्स (Tax Benefits on PPF) भी मिलते हैं. पीपीएफ योजना में 500 रुपए से लेकर अधिकतम 1.5 लाख तक सालाना निवेश किया जा सकता है. मौजूदा समय में सरकार ने PPF पर ब्याज दर (PPF Interest Rates) 7.1 फीसदी पर बरकरार रखा है. अप्रैल 2020 के बाद से पीपीएफ पर ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है.
निवेश की अधिकतम सीमा 1.5 लाख
यह स्कीम आम निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय है. सरकार पीपीएफ सहित अन्य छोटी बचत योजनाओं पर हर तिमाही ब्याज दरों का निर्धारण करती है. इस स्कीम में एक वित्त वर्ष (Financial Year) में निवेश की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है. बहुत सारे इंवेस्टर्स जरूरत पड़ने पर पीपीएफ (PPF) में निवेश पर लोन भी लेते हैं. क्योंकि इससे लोन लेना पर्सनल लोन के मुकाबले सस्ता है. इसके साथ ही इसके लिए कोई चीज गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती.
नियमों के मुताबिक, PPF से लिए गए लोन की राशि पर एक प्रतिशत ब्याज चुकाना पड़ता है. मतलब जो ब्याज PPF योजना के तहत आपको मिल रहा है उससे एक प्रतिशत ज्यादा ब्याज आपको चुकाने होंगे. क्योंकि लोन ली गई अमाउंट पर ब्याज नहीं मिलता. फिलहाल पीपीएफ में निवेश पर 7.1 फीसदी का ब्याज है.
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ब्याज का भुगतान समय से न करने पर अकाउंट से कटेगी राशि
अगर आपने लोन लिया है और तय समय सीमा के अंदर लोन राशि यानी प्रिंसिपल अमाउंट का भुगतान कर दिया है, लेकिन उस पर ब्याज का भुगतान समय से नहीं किया तो ब्याज की राशि आपके PPF अकाउंट से काट ली जाएगी. वहीं, अगर आप 36 महीने के अंदर लोन राशि (पूरी या आंशिक तौर पर) नहीं चुकाते हैं तो बकाए लोन की राशि पर 6 प्रतिशत की दर से इंटरेस्ट देना पड़ेगा. इसका मतलब जो ब्याज PPF योजना के अंतर्गत आपको मिल रहा है उससे 6 प्रतिशत ज्यादा ब्याज आप चुकाएंगे. ऐसे में ब्याज की राशि प्रत्येक वित्त वर्ष के अंत में आपके PPF अकाउंट से काट लिया जाएगा.
निवेश के दृष्टि से सही नहीं
वहीं जानकारों का मानना है कि PPF से लोन लेना निवेश के दृष्टिकोण से सही नहीं है. इसकी पहली वजह यह है कि इस योजना में निवेश पर जो ब्याज मिलता है वह टैक्स-फ्री है, दूसरे इसमें ब्याज की कंपाउंडिंग होती है और तीसरे यह कि आप ज्यादा राशि का लोन पीपीएफ पर नहीं ले सकते.
टैक्स-फ्री ब्याज
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) में निवेश पर ट्रिपल टैक्स लाभ मिलता है यानी जमा, ब्याज और निकासी (principal investment, interest, and maturity) तीनों पर टैक्स में छूट है. यदि आप टैक्स के दायरे में नहीं आते, तब तो कोई बात नहीं लेकिन अगर आते हैं तो लोन के मामले में ब्याज (Interest) का टैक्स-फ्री होना मायने रखता है.
ब्याज की कंपाउंडिंग
पीपीएफ स्कीम 15 साल में मैच्योर होती है, लेकिन इसके जरिए 15 साल में लोग अच्छा खासा फंड जोड़ सकते हैं. इसके अलावा अगर आपको अचानक पैसों की जरूरत पड़ जाए, तो पीपीएफ पर आपको लोन भी मिलता है. पर्सनल लोन की तुलना में ये ब्याज भी काफी कम होता है. लेकिन पीपीएफ पर लोन सुविधा से जुड़ी कुछ शर्तें हैं. आइए इसके बारे में जानते है…
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड पर मिलने वाले ब्याज की कंपाउंडिंग भी लंबे समय तक होती है. क्योंकि पीपीएफ स्कीम 15 साल में मैच्योर होती है. इसके बाद भी 5-5 साल के ब्लॉक में इस योजना को आगे बढ़ाने का ऑप्शन आपके पास होता है. अगर आप शुरुआत के तीसरे से छठे वर्ष के दौरान लोन लेते हैं तो आपके द्वारा लोन ली गई राशि पर तब तक कंपाउंडिंग की सुविधा नहीं मिलेगी, जब तक आप इसका भुगतान नहीं कर देते हैं.
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अगर आप इस पीपीएफ स्कीम के शुरुआती वर्षों में अधिकतम सीमा यानी 1.5 लाख रुपये प्रतिवर्ष तक का निवेश कर लेते हो तो आपको बाद के वर्षों में कंपाउंडिंग का ज्यादा फायदा मिलेगा. वहीं आपने जिस वित्त वर्ष में पीपीएफ खाता ओपेन कराया है, उस वित्त वर्ष की समाप्ति के एक वित्त वर्ष बाद से लेकर पांचवें वित्त वर्ष की समाप्ति तक ही आप पीपीएफ से लोन लेने के अधिकारी हैं. इसलिए अगर आप कंपाउंडिंग का ज्यादा से ज्यादा लेना चाहते हैं तो पीपीएफ खाता से लोन लेने से बचें.
एक वित्त वर्ष में एक ही बार ले सकेंगे लोन
जिस वित्त वर्ष में आप लोन के लिए आवेदन दे रहे हैं, उस वित्त वर्ष से ठीक पहले के दूसरे वित्त वर्ष की समाप्ति पर जो बैलेंस यानी मूलधन और ब्याज होगा, उसका अधिकतम 25 प्रतिशत आप लोन ले सकते हैं. एक फाइनेंशियल ईयर में केवल एक बार ही लोन लिया जा सकता है. नया लोन तभी ले सकते हैं जब पुराने लोन भुगतान कर दिया जाए.
लोन चुकाने की अवधि
जिस महीने आप PPF से लोन लेते हैं उसके 36 महीने के अंदर आपको लोन की राशि (प्रिंसिपल अमाउंट) चुकानी होगी. इसे दो तरीके से चुकाया जा सकता है या तो एक मुश्त या किस्तों में. वहीं प्रिंसिपल अमाउंट चुकाने के बाद अधिकतम दो मासिक किस्तों में आप ब्याज का भुगतान कर सकते है. जबकि पर्सनल लोन का भुगतान आप 6 साल तक कर सकते हैं. वहीं अगर आप बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन लेते हैं तो यहां लोन चुकाने की समय सीमा एफडी का मैच्योरिटी पीरियड है. इसका अर्थ यह है कि अगर आप लोन चुकाने में ज्यादा समय लेना चाहते हैं तो आपके लिए पर्सनल लोन बेस्ट ऑप्शन हो सकता है.
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