MPC Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले 2 साल से रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है. इसके वजह से लोन की बढ़ी हुई ईएमआई कम नहीं हो रही है. एक्सपर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह के अंत में अपनी द्विपक्षीय मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर को फिर से अपरिवर्तित रख सकता है. इसकी वजह मुद्रास्फीति सहनशील सीमा के ऊपरी लेवल को पार कर गई है.
वहीं, दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ के निराशाजनक आंकड़ों के मद्देनजर केंद्रीय बैंक वृद्धि पूर्वानुमान को कम कर सकता है. आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4-6 दिसंबर, 2024 को होगी.
इस दिन गवर्नर करेंगे पॉलिसी का ऐलान
एमपीसी की बैठक के निर्णय का ऐलान 6 दिसंबर को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे. आमतौर पर ऐसा मानना है कि केंद्रीय बैंक जल्द ही प्रधान ब्याज दरों को कम करना शुरू कर देगा, लेकिन केंद्रीय बैंक के पास इस बार बहुत कम ऑप्शन होंगे. ऐसा इसलिए है क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से ऊपर है. आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो दर या लघु अवधि की उधारी दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है.
एक्सपर्ट का मानना है कि इसमें कुछ राहत फरवरी 2025 में ही मिलने की उम्मीद है. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि ग्लोबल माहौल में अनिश्चितता और मुद्रास्फीति पर संभावित प्रभाव को देखते हुए रेपो दर पर यथास्थिति बनी रहने की संभावना है.
वृद्धि पूर्वानुमान को करेगी कम
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति और जीडीपी दोनों के लिए रिजर्व बैंक के अनुमानों में बदलाव होगा, क्योंकि मुद्रास्फीति अब तक आरबीआई के तीसरी तिमाही के पूर्वानुमान से अधिक रही है और जीडीपी ग्रोथ दूसरी तिमाही में उम्मीद से बेहद कम रही है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि इस साल अक्टूबर में उपभोक्ता कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति 6 फीसदी को पार कर गई है.
ऐसे में उम्मीद है कि दिसंबर की बैठक में एमपीसी यथास्थिति बनाए रखेगी. अदिति नायर ने आगे कहा कि साथ ही, हमारा अनुमान है कि एमपीसी अगले सप्ताह वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने वृद्धि पूर्वानुमान को कम कर सकती है. यदि आगे मुद्रास्फीति में नरमी आती है, तो फरवरी 2025 में दरों में कटौती होने की संभावना है.
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