ई-मोबिलिटी, एनर्जी स्टोरेज और हाइड्रोजन पर केंद्रित एक प्रमुख उद्योग निकाय इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस के मुताबिक, 2030 में भारतीय सड़कों पर ईवी की संख्या 2.8 करोड़ को पार कर जाने की संभावना है. इससे ग्रिड से ऊर्जा की मांग पैदा बढ़ेगी. ESA के एक बयान के मुताबिक, भारत की ईवी बिक्री वित्त वर्ष 2023-2024 में 41 लाख यूनिट को पार कर गई है और इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के लिए भविष्य का दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है. पर्यावरण के प्रति जागरूकता, ग्राहकों की रुचि, बैटरी तकनीक में प्रगति और आसानी से उपलब्ध और सुलभ ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण इनकी मांग बढ़ रही है.
बिजली खपत में 7 प्रतिशत बढ़ोतरी
ESA ने कहा, “यह अनुमान लगाया गया है कि वार्षिक बिक्री का 83 प्रतिशत इलेक्ट्रिक-टू व्हीलर होगा, 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक-फोर व्हीलर और ट्रक, बस जैसे वाणिज्यिक वाहन होंगे. वहीं इलेक्ट्रिक पहिया वाहन बिक्री में सात प्रतिशत का योगदान देंगे.” भारत अपनी डीकार्बोनाइजेशन यात्रा में महत्वपूर्ण और निरंतर प्रगति कर रहा है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी से वृद्धि, मांग और आपूर्ति प्रोत्साहन, बढ़ती उपभोक्ता मांग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
ईईएसए के अध्यक्ष (अंतरिम) विनायक वालिम्बे ने कहा कि भारत में बिजली की खपत में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है, जो 2023-24 में 1,543 ट्रिलियन वाट आवर (TWH) तक पहुंच गई है.यह पिछले साल की तुलना में सात प्रतिशत की वृद्धि है. नायक वालिम्बे ने कहा, “केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, सार्वजनिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर बिजली की खपत अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक 465 जीडब्ल्यूएच थी, जो 2022-2023 में 204 जीडब्ल्यूएच की तुलना में दोगुने से अधिक है.”
उन्होंने कहा कि अधिकांश ईवी यूजर्स घर पर चार्जिंग की सुविधा का विकल्प चुन रहे हैं, इसलिए आईईएसए का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-2025 में ईवी चार्जिंग के लिए ऊर्जा की मांग 4,000 जीडब्ल्यूएच होगी जो वित्त वर्ष 2031-2032 तक बढ़कर 38 टीडब्ल्यूएच हो जाएगी, जिसमें अधिकतम बिजली की मांग 366.4 गीगावाट होने का अनुमान है.” विद्युत मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय विद्युत योजना तैयार की है, जो एक 10-वर्षीय रोडमैप है. यह भविष्य की रणनीतियों को आगे बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण है. भारत दुनिया में बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है.
राष्ट्रीय विद्युत योजना का अनुमान है कि भारतीय पावर ग्रिड पर कुल वार्षिक मांग 2031-32 तक बढ़कर 2,133 टीडब्ल्यूएच हो जाएगी और आईईएसए के अनुमान के मुताबिक, ईवी चार्जिंग इस मांग का लगभग तीन प्रतिशत होगी. ESA रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल स्थापित क्षमता को जनवरी 2025 में 466 गीगावाट से बढ़ाकर 2032 तक 900 गीगावाट करने की आवश्यकता है. यह योजना भविष्य में ईवी चार्जिंग की मांग पूरी करने और 2030 तक चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाकर लगभग एक लाख करने के लिए ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को स्थापित करने में तेजी लाने के लिए एक खाके के रूप में काम करती है.